ममता भी चली हिंदुत्व की राह, काटे मुस्लिमों के टिकट, क्या है सच्चाई ?

हमेशा मां, माटी और मानुष की बात करने वाले बंगाल में इस बार ‘खेला होबे’ का जोर है। जहाँ एक ओर ममता बनर्जी चंडी पाठ और शिव मंदिर के चक्कर लगाती नजर आ रही हैं वहीँ पार्टी ने मुस्लिमों के टिकट भी काट दिए हैं। लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं क्या जय श्रीराम और देवी दुर्गा के बीच उलझे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में क्या ममता बनर्जी भी हिंदुत्व की राह पर निकल गई हैं?
कहीं ऐसा तो नहीं कि बंगाल विधानसभा चुनाव में उतरने के अब्बास सिद्दीकी और असदुद्दीन ओवैसी के फैसले ने ममता को अपना मुस्लिम वोट बैंक खिसकने के डर में डाल दिया है ? या फिर भाजपा की काट के लिए ममता बनर्जी ने भी यह कोई नई सियासी चाल चली है ?

कारण जो भी रहा हो ममता बनर्जी ने इस बार सिर्फ 42 मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव खेला है जबकि यह संख्या 2016 के विधानसभा चुनाव में 57 थी ऐसे में मुस्लिम प्रत्याशियों के टिकट काटने को लेकर ममता बनर्जी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। एक बात यह भी कही जा रही है कि अब्बास सिद्दीकी और असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री के कारण TMC ने मुस्लीमउम्मीद्वारों की संख्या कम कर दी है। जहाँ कांग्रेस वामपंथी दलों के साथ चुनावी मैदान में है वहीं फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से भी हाथ मिलाया है। अब्बास सिद्दीकी करीब 30 सीटों पर मैदान में उतरेंगे। याद रहे कि फुरफुरा शरीफ का असर बंगाल की करीब 100 सीटों पर माना जाता है। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी ने भी बंगाल की 20 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है, जिसे ममता बनर्जी के लिए मुसीबत माना जा रहा है।

मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या कम करने के बाद नंदीग्राम में भी दीदी का नया रंग नजर आया। उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मैं हिंदू परिवार से हूं और रोजाना चंडी पाठ करती हूं। उन्होंने भाजपा को चेताते हुए कहा कि मेरे साथ हिंदुत्व कार्ड न खेलें। इस दौरान दीदी ने मंच पर ही चंडी पाठ के मंत्र भी पढ़े। इसके अलावा नामांकन दाखिल करने से पहले भी ममता बनर्जी शिव मंदिर गईं और भोलेनाथ का अभिषेक किया। इसके अलावा दीदी ने पार्टी का मैनिफेस्टो भी शिवरात्रि के दिन जारी करने का एलान किया है। ममता का यह राजनीतिक मिजाज बंगाल की सियासत पर कैसा असर डालेगा, यह तो नतीजों से ही पता लगेगा, लेकिन इतना तय है कि 2011 और 2016 के विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत हासिल करने वाली ममता बनर्जी अपने राजनीतिक जीवन के सबसे बड़े मुकाबले का सामना कर रही हैं।

 

 

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