मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अल्पसंख्यक संस्थानों के प्रति सरकार की उदासीनता का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। कोरोना महामारी (COVID-19) में बोर्ड के खराब प्रदर्शन के कारण वक्फ बोर्ड (WAQF BOARD) के तहत मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों को सात महीने से उनके वेतन से वंचित किया गया है।
बता दें कि वक्फ बोर्ड के अधिकारियों ने पहले तो अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा अनुदान जारी करने में देरी का हवाला दिया था, लेकिन अनुदान जारी होने के बाद भी जब यह सवाल वक्फ बोर्ड प्रशासन से पूछा गया कि इमामों और मुअज्जिनों को अभी तक उनका वेतन क्यों नहीं मिला.तो हर कोई अपनी ज़िम्मेदारियों को एक-दूसरे पर डालता नज़र आ रहा है।
जमीयत उलेमा भोपाल के जिला अध्यक्ष हाजी मोहम्मद इमरान का कहना है कि मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड और विवाद खत्म हो गया है। एक संघर्ष समाप्त नहीं होता है कि दूसरा शुरू होता है, और यहां के कर्मचारी इतने बे कहे (आत्म-केंद्रित) के हैं कि वो सिर्फ़ अधिकारियों को गुमराह ही नहीं करते बल्कि कभी-कभी उनके आदेशों की भी अवहेलना करते हैं।
वक्फ बोर्ड के तहत मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों के वेतन को लेकर जमीयत उलेमा आंदोलन चला रहा है। सबसे पहले हमें बताया गया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने अनुदान जारी नहीं किया है, जिससे इमामों और मुअज्जिनों को वेतन देने में देरी हो रही है।
जमीयत सदस्यों ने इस संबंध में मध्य प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री राम खालावन पटेल से मुलाकात की। उन्हें ज्ञापन देकर अनुदान जारी किए जाने के बारे में कहा था और अब अनुदान जारी होने के बाद, वक्फ बोर्ड के सीईओ ने भी दो सप्ताह पहले इमामों और मुअज्जिनों के वेतन जारी करने के संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं । उसके बाद भी इमामो और मोवज़्ज़नों के खाते में पैसे नहीं पहुंचे हैं अगर एक सप्ताह के भीतर वेतन जारी नहीं किया गया तो जमीयत इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरेगी।
इस संबंध में जब न्यूज अठारह उर्दू ने मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के सीईओ जमील अहमद से बात की और इमामों और मुज़ानियों के वेतन में देरी का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने दस दिन पहले वेतन जारी करने का आदेश दिया था उसके बाद भी इमाम और मुज़ानिंस के खाते में वेतन कैसे नहीं पहुंचा।
बोर्ड के सीईओ जमील अहमद का कहना है कि एक या दो दिनों में वेतन इमामों और मुज़ानियों के खाते में पहुँच जाएगा और इस देरी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि इस मामले को देखने वाले बोर्ड के डीलिंग क्लर्क लंबी छुट्टी पर चले गए हैं और जबतक वो छुट्टी से वापस नहीं आते तब तक इमामों और मुअज़्ज़िनों को सैलरी के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा।