लोकसभा में वक़्फ़ संयुक्त संसदीय समिति के विस्तार का प्रस्ताव स्वीकार
संसद ने वक़्फ़ विधेयक के मूल्यांकन का काम कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का कार्यकाल बढ़ाने पर सहमति जताई है। शुरू में शीतकालीन सत्र के दौरान 29 नवंबर, 2023 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समयसीमा निर्धारित की गई थी। अब यह समयसीमा 2025 के बजट सत्र के अंतिम दिन तक बढ़ा दी गई है। यह विस्तार समिति के भीतर चल रही चर्चा और विधेयक के निहितार्थों पर गहराई से विचार करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
सत्र के पहले हफ्ते के अंतिम दिन यानी शुक्रवार को जेपीसी को वक़्फ़ बिल पर अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करनी थी। यह इस सत्र के एजेंडे में भी शामिल था, लेकिन जेपीसी में शामिल विपक्षी दलों के सांसद कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे थे। हालांकि, समिति की अगुवाई कर रहे बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल का दावा था कि हमारी रिपोर्ट तैयार है।
संसद की कार्यवाही शुरू होते ही, विपक्ष ने अडानी रिश्वतकांड और संभल बवाल मामले पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामा देखकर लोकसभा स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। 12 बजे के बाद सदन की कार्यवाही फिर से सुरू हुई। इस दौरान जेपीसी के प्रमुख जगदंबिका पाल ने और समय की मांग करते हुए कार्यकाल बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया जिसे पारित कर दिया गया।
इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आचरण की कड़ी आलोचना की। उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा प्रस्ताव पारित होने के दौरान किए गए हंगामे पर नाराजगी व्यक्त की। रिजिजू ने कहा कि सभी पार्टी नेताओं और व्यापार सलाहकार समिति के सदस्यों द्वारा वक्फ विधेयक पर चर्चा के लिए समय सीमा पहले ही तय कर दी गई थी। हमने यह भी अनुरोध किया था कि आने वाले विधेयकों पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय दिया जाए। लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने अराजकता फैलाई और नियमों का उल्लंघन किया।