मणिपुर हिंसा के मृतकों का हफ्ते भर में कराया जाए अंतिम संस्कार: सुप्रीम कोर्ट
मणिपुर हिंसा के मामले में SC ने मुर्दाघरों में 175 शवों के बिना अंतिम संस्कार के पड़े रहने पर चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सूबे के हालात को देखते हुए मुर्दाघरों पर शवों का यूं पड़े रहना ठीक नहीं है। इसके जरिये माहौल को किसी भी तरह खराब रखने की कोशिश हो रही है। कोर्ट ने हफ्ते भर में अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई के दौरान निर्देश दिया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि जो भी शव शवगृह में रखे हुए हैं और जिनकी पहचान हो चुकी है उसका अंतिम संस्कार किया जाए। मणिपुर में मई से शुरू हुई हिंसा के बाद कई लोगों की मौत हो चुकी है और शवगृह में लाशें रखी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने कोर्ट द्वारा गठित कमिटी की ओर से रिपोर्ट पेश की गई।
दिल्ली हाईकोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस गीता मित्तल की अगुवाई वाली कमेटी ने बताया कि मणिपुर में हिंसा के बाद शवगृह में लाशें पड़ी हुई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 175 डेडबॉडी पड़ी हुई है इनमें छह शव की पहचान नहीं हुई है जबकि 169 की पहचान सुनिश्चित हो चुकी है। जिन शवों की पहचान हुई है उसमें से 81 शवों के लिए दावा किया गया है जबकि बाकी 88 के लिए कोई दावा नहीं हुआ है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि शवों के अंतिम संस्कार से पहले डीएनए नमूने लिए जाए। कलेक्टर या SP यह सुनिश्चित करें कि शवो को अंतिम संस्कार गरिमापूर्ण तरीके से हो। कोई कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने जैसे हालात पैदा न हो। सरकार सुनिश्चित करेगी कि जिन मृतकों के परिजन रिलीफ कैंप में रह रहे है, वो शवो की पहचान, अन्तिम संस्कार कर सके।
बेंच ने कहा है कि राज्य सरकार ने अंतिम संस्कार के लिए 9 स्थानों का चयन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मई 2023 से मणिपुर में हिंसा हो रही है और इस बात के मद्देनजर यह उचित नहीं होगा कि जो लाशें शवगृह में रखी गई हैं उसे वहीं रहने दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिए आदेश में कहा है कि राज्य सरकार ने जिन 9 जगहों की पहचान की है वहां बिना किसी बाधा के जिन शवों की पहचान हो चुकी है और दावेदारी हो चुकी है उन शवों का अंतिम संस्कार किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतिम संस्कार से संबंधित प्रक्रिया 4 दिसंबर या उससे पहले पूरी कर ली जाए।