चुनाव नियमों में संशोधन पर नाराजगी, वापस लेने की मांग
पंजाब हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने से बचने के लिए चुनाव आयोग द्वारा अचानक किए गए नियमों में बदलाव, जिसके तहत चुनाव से जुड़ी दस्तावेजों और सामग्रियों तक जनता की पहुंच सीमित कर दी गई है, पर विपक्ष ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे एक योजनाबद्ध साजिश बताया, जिसका मकसद चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता, विश्वसनीयता और उसकी स्वायत्तता को खत्म करना है।
खड़गे ने कहा कि पहले सरकार ने उस समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटा दिया, जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करती है, और अब हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद जानकारी प्रदान करने से रोकने के लिए नियमों में संशोधन का सहारा लिया गया है। उन्होंने कहा कि जब भी कांग्रेस पार्टी ने मतदाताओं के नाम हटाने और ईवीएम में पारदर्शिता की कमी जैसे चुनावी अनियमितताओं को लेकर चुनाव आयोग को लिखा, उसने अहंकारपूर्ण ढंग से जवाब दिया और गंभीर शिकायतों को भी अनदेखा कर दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भले ही चुनाव आयोग एक अर्ध-न्यायिक संस्था है, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि वह स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रहा है। खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार द्वारा चुनाव आयोग की साख और अखंडता को नुकसान पहुंचाना संविधान और लोकतंत्र पर हमला है, और हम इसकी रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
सीपीआई (एम) के पोलिट ब्यूरो ने भी प्रस्तावित संशोधनों पर सख्त आपत्ति जताते हुए इन्हें तुरंत वापस लेने की मांग की। सीपीआई के नेता डी. राजा ने कहा, “यह सरकार लोकतांत्रिक तरीके से काम करने में विश्वास नहीं रखती।”