जेएनयू छात्रसंघ चुनाव: एबीवीपी को झटका, सभी सीटें लेफ्ट के खाते में, धनंजय बने अध्यक्ष
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल (JNU)छात्र संघ के चुनाव में एक बार फिर से वामपंथी संगठनों ने बाजी कैंपस में जीत का अपना परचम लहरा दिया है। चारों सीटों पर लेफ्ट ने ही बाजी मारी है। खास बात यह रही है कि चार साल के बाद छात्र संघ चुनाव में जबरदस्त वोटिंग हुई। 12 साल के बाद 2024 के छात्र संघ चुनाव में 73 फीसदी वोट दर्ज की गई।
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में वामपंथी संगठनों ने बाजी मार ली है और आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को बड़ा झटका लगा है। चार साल के अंतराल के बाद हुए चुनावों में अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसए) के धनंजय ने 2,598 वोट हासिल करके जेएनयूएसयू अध्यक्ष पद का चुनाव जीता। वहीं एबीवीपी के उमेश सी अजमीरा ने 1,676 वोट हासिल किए।
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के अविजीत घोष ने एबीवीपी की दीपिका शर्मा को हराकर उपाध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। वाम समर्थित बीएपीएसए उम्मीदवार प्रियांशी आर्य ने एबीवीपी के अर्जुन आनंद को हराकर महासचिव पद जीता।
बता दें कि चुनाव समिति द्वारा वामपंथी संगठनों की उम्मीदवार स्वाति सिंह का नामांकन रद्द किए जाने पर वामपंथी संगठनों ने अपना समर्थन प्रियांशी आर्य को दिया था। संयुक्त सचिव पद पर वामपंथी संगठनों के उम्मीदवार मोहम्मद साजिद ने एबीवीपी के गोविंद को हराकर जीत हासिल की।
जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए धनंजय बिहार के गया जिले के रहने वाले हैं। धनंजय दलित समुदाय से आते हैं। 1996-97 में बत्ती लाल बैरवा के जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष चुने जाने के बाद धनंजय पहली बार दलित अध्यक्ष बने हैं। चुनाव परिणाम की घोषणा होते ही लेफ्ट विंग के छात्र जबरदस्त नारेबाजी करने लगे। पूरे जेएनयू में सफेद और ब्लू झंडे लहराने लगे।
लाल सलाम और जय भीम के नारे से पूरा कैंपस गुंजायमान हो गया। धनंजय के अलावा वाइस प्रेसिडेंट के पद पर एसएफआई के अविजीत घोष ने बाजी मारी है। घोष ने एबीवीपी की दीपिका शर्मा को 927 वोटों से हराया। घोष को 2409 मत मिले जबकि दीपिका शर्मा को 1482 मत मिले।
जीत के बाद छात्र नेता धनंजय का बयान
नवनिर्वाचित जेएनयू अध्यक्ष धनंजय ने कहा, ‘यह छात्रों की जीत है। छात्रों ने धोखाधड़ी और सरकार द्वारा फंड में कटौती के खिलाफ होकर लेफ्ट को चुना है। जेएनयू के नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष अविजीत घोष ने कहा, ‘जेएनयूएसयू के चुनाव ऐतिहासिक हैं, यह चार साल बाद हो रहे हैं। जेएनयूएसयू ने हमेशा छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है।