भारत की दो टूक, रक्षा हित से समझौता नहीं, रूस से सैन्य सहयोग जारी रहेगा

भारत की दो टूक, रक्षा हित से समझौता नहीं, रूस से सैन्य सहयोग जारी रहेगा रूस से एस 400 खरीदने के बाद से ही भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर अटकलों का दौर जारी है।

भारत ने दो टूक कहा है कि नई दिल्ली अपने रक्षा हितों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा और रूस से एस-400 की आपूर्ति के साथ ही भारत और रूस के बीच सैन्य संबंधों के नए युग की शुरुआत होगी।

रूस से S-400 आपूर्ति के बाद से ही अमेरिका की भृकुटी तने होने की बातें की जा रही हैं लेकिन भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह अपने रक्षा हितों को लेकर कोई समझौता करने के मूड में नहीं है और पुतिन मोदी के बीच होने वाली बैठक इसका एक स्पष्ट संकेत भी है।

पिछले एक दशक में भारत ने अमेरिका, फ्रांस और इस्राईल जैसे देशों के साथ अपने सैन्य संबंधों को मजबूती दी है। ऐसे में सवाल उठता रहा था कि क्या भारत अपने पारंपरिक सैन्य मित्र रूस के साथ अपने सैन्य संबंधों को सीमित कर लेगा ? जिसको लेकर सरकार का रुख एकदम स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को लेकर कोई समझौता नहीं होगा और रूस से S-400 की आपूर्ति के साथ ही दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों के नए युग की भी शुरुआत होगी।

अपनी रणनीतिक जरूरतों को देखते हुए भारत सरकार रूस से नए सैन्य साजो सामान खरीदने की तैयारी कर रही है। भारत सरकार 6 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में होने वाली राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी की सालाना बैठक की तैयारियों में व्यस्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात से पहले ही दोनों देशों के बीच विदेश और रक्षा मंत्रियों के स्तर की बैठक भी होगी अभी तक भारत द्वारा क्वाड संगठन के सदस्य देशों जापान ,ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से ही इस स्तर की बातचीत करता रहा है।

दोनों देश राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक को सफल बनाने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं। इस बैठक के बाद कुछ अहम घोषणाएं भी हो सकती हैं जिनमें वर्ष 2021-31 के लिए सैन्य तकनीकी सहयोग की घोषणा भी हो सकती है। जिसमें दोनों देशों के बीच अगले एक दशक के लिए सैन्य सहयोग का रोडमैप तैयार किया जाएगा। इसको लेकर दोनों देशों के रक्षा मंत्रालय लगातार बैठक कर रहे हैं।

दोनों देश अपनी अपनी नौसेनाओं के बीच सहयोग को लेकर भी एक करार पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। याद रहे कि पिछली सदी के आखिरी दशक तक रूस भारत के लिए सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता देश था लेकिन पिछले दो दशक में इस्राईल और अमेरिका से अत्यधिक हथियार खरीदने की वजह से उसकी हिस्सेदारी भारत की सैन्य आपूर्ति में घटकर 60% रह गई है।

भारत और रूस के बीच सैन्य सौदों को लेकर पिछले 2 वर्षों में हालात एक बार फिर बदले हैं। 2018 के बाद 2-3 अरब डॉलर का सालाना कारोबार अब 9 -10 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है और इसमें तेजी से और बढ़ोतरी होने की आशा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles