हेमंत सोरेन ने ईडी अधिकारियों के खिलाफ प्रताड़ित और बदनाम करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के एससी-एसटी थाने में ईडी के अधिकारी कपिल राज, देवब्रत झा, अनुपम कुमार, अमन पटेल व अन्य अज्ञात के विरुद्ध बुधवार को एससी-एसटी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है। ये सभी अधिकारी ईडी के जोनल कार्यालय रांची से संबंधित हैं। सोरेन का आरोप है कि ईडी अफसरों ने गलत खबर फैलाई कि दिल्ली आवास से जब्त बीएमडब्ल्यू कार मेरी है और परिसर से भारी मात्रा में अवैध नकदी मिली है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ईडी अधिकारियों की वजह से उन्हें और उनके परिवार को मानसिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक क्षति हुई है। उन्होंने लिखा है कि ईडी के अधिकारियों ने उन्हें 29 से 31 जनवरी तक रांची में रहने के लिए कहा था और इसी बीच उनके दिल्ली स्थित आवास पर उनकी अनुपस्थिति में बिना पूर्व सूचना के छापेमारी कर दी। वे अनुसूचित जनजाति से आते हैं, लेकिन ईडी के उक्त अधिकारियों में एक भी अधिकारी एससी-एसटी अधिनियम से संबंधित नहीं था।
सोरेन ने अपनी शिकायत में कहा है कि 27 और 28 जनवरी को मैं दिल्ली के दौरे पर था। इस दौरान मैं दिल्ली में झारखंड राज्य के निवास और ऑफिस यूज के लिए लीज पर लिए गए शांति निकेतन स्थित आवास पर रुका था। मुझे पता चला कि इन अधिकारियों ने मेरे आधिकारिक आवास पर तलाशी ली थी। ये छापेमारी मुझे सूचना दिए बिना की गई थी। उन्हें व उनके परिवार को ईडी के इस झूठे, बनावटी कृत्य से मानसिक व सामाजिक रूप से प्रताड़ना हुई है। वे आहत हुए हैं।
ईडी के उपरोक्त अधिकारियों के माध्यम से मीडिया में भ्रम फैलाकर उन्हें आम जनता के बीच बदनाम करने की कोशिश की गई है। ईडी अधिकारियों की वजह से उन्हें और उनके परिवार को अत्यधिक मानसिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक क्षति हुई है। उन्होंने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि जब वे रांची आए तो उन्होंने विभिन्न मीडिया के माध्यम से 30 जनवरी को ईडी की दिल्ली स्थित झारखंड भवन, मुख्यमंत्री आवास में छापेमारी से संबंधित समाचारों को देखा। इससे उन्हें व उनके समुदाय को बदनाम करने की कोशिश हुई है। 27 व 28 जनवरी को वे दिल्ली गए थे और वहां 5/1 शांति निकेतन में ठहरे थे। इस परिसर को झारखंड सरकार ने लीज पर लिया हुआ है। यह आवास व कार्यालय के उपयोग के लिए लिया गया है।
29 जनवरी को उन्हें सूचना मिली कि उपरोक्त अधिकारियों ने उक्त आवासीय परिसर में सर्च अभियान चलाया। उक्त छापेमारी बिना किसी नोटिस के हुई थी। उक्त अधिकारियों ने उन्हें 29 व 31 को रांची में रहने के लिए कहा था। इसके बावजूद दिल्ली में छापेमारी कर उन्हें व उनकी सरकार को आम जनता के बीच बदनाम करने के लिए मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार किया, उन्हें बदनाम किया गया।