वक्फ (संशोधन) बिल पर विपक्ष और बीजेपी के बीच तीखी बहस
नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) बिल पर विचार-विमर्श के लिए गठित जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की बैठकें तेज गति से जारी हैं। जेपीसी प्रमुख जगदंबिका पाल के नेतृत्व में अब तक दो आधिकारिक बैठकें हो चुकी हैं, जबकि समिति के सदस्यों की विभिन्न संस्थाओं के जिम्मेदारों से लगातार बातचीत और बैठकें हो रही हैं। लेकिन इस दौरान यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई है कि जेपीसी में शामिल विपक्ष के सदस्य अपने सवालों से बीजेपी के सदस्यों को चुप करा रहे हैं।
हाल यह है कि दोनों ही आधिकारिक बैठकों में विपक्ष के सदस्यों ने इतने तर्कपूर्ण तरीक़े से आपत्तियां कीं और बिल की आवश्यकता पर सवाल उठाए कि बीजेपी के सदस्य असहज हो गए। विपक्ष ने मंत्रालयों के अधिकारियों से यह भी पूछा कि बिल की क्या आवश्यकता है, अगर वक्फ ने कोई गलत दावा किया है तो आज भी अदालतें इसका फैसला कर सकती हैं, इस बिल की क्या जरूरत है?
वक्फ (संशोधन) बिल पर गुरुवार देर रात तक जारी रहने वाली जेपीसी की बैठक में विपक्षी दलों के सांसदों और बीजेपी के सदस्यों के बीच काफी तीखी बहस हुई। स्थिति यह थी कि बीजेपी और विपक्षी दलों के सांसद आमने-सामने आ गए थे। विपक्षी सदस्यों ने इस बैठक में भी यह मुद्दा उठाया कि आखिर इस बिल की आवश्यकता ही क्या है? इस बिल की वजह से मुस्लिम समाज में गंभीर चिंता पाई जा रही है।
इस पर बीजेपी के सदस्यों ने आपत्ति जताई और विपक्षी सदस्यों पर आरोप लगाने लगे, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच बहस और भी बढ़ गई, तब जाकर जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को हस्तक्षेप करना पड़ा। विपक्षी सदस्यों ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए।
अधिकारियों की भाषा पर आपत्ति
इस दौरान बैठक में कुछ विभागों के अधिकारियों ने प्रस्तुति दी, जिस पर विपक्षी सदस्य और भी अधिक नाराज हो गए। उनका आरोप था कि ये अधिकारी सरकार की चापलूसी कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को केवल सरकार की भाषा न बोलने और निष्पक्ष रहने की हिदायत दी। बैठक में सत्ताधारी दल ने स्पष्ट किया कि वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग केवल धार्मिक और सार्वजनिक कल्याण के उद्देश्यों के लिए हो, न कि व्यक्तिगत हितों के लिए।
संजय सिंह और कल्याण बनर्जी नाराज
बैठक में बीजेपी और विपक्षी सांसदों, जिनमें टीएमसी के कल्याण बनर्जी और आप के संजय सिंह शामिल थे, के बीच तीखी झड़प हुई, जिसके बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को हस्तक्षेप करना पड़ा। बैठक में मंत्रालयों के अधिकारियों ने तर्क दिया कि वक्फ (संशोधन) बिल से उन्हें सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने और योजनाओं को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी।
इस पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई और कहा कि अगर किसी संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ के रूप में अधिसूचित किया गया है, तो इसे चुनौती देने का प्रावधान वर्तमान कानून में मौजूद है, जबकि सरकार यह कहने की कोशिश कर रही है कि अगर वह किसी संपत्ति पर अपना दावा करती है तो कोई सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।
अधिकारियों ने नहीं दिया कोई जवाब
बैठक के दौरान उस समय हंगामा हो गया जब शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारी ब्रिटिश शासनकाल में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया से संबंधित सदस्यों के सवालों का जवाब नहीं दे सके। समिति के एक विपक्षी सदस्य ने दावा किया कि कुछ सूचनाओं को छिपाने की कोशिश हो रही है। विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि मंत्रालय बिल पर स्वतंत्र दृष्टिकोण से काम नहीं कर रहा है, बल्कि वह केवल सरकार के निर्देशों का पालन कर रहा है।