सरकार संसद को भाजपा मुख्यालय के रूप में मान रही है: अधीर रंजन

सरकार संसद को भाजपा मुख्यालय के रूप में मान रही है: अधीर रंजन

संसद के शीतकालीन सत्र के 15वें दिन सोमवार को संसद के दोनों सदनों में संसद की सुरक्षा उल्लंघन पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने हंगामा किया। हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। अधीर रंजन समेत 31 सांसद निलंबित कर दिए गए हैं। वहीं, सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

बता दें कि, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पिछले हफ्ते बुधवार को दो युवकों ने लोकसभा के अंदर घुसकर प्रदर्शन किया और पीला धुआं छोड़ा। इस बहुत बड़ी सुरक्षा सेंध माना गया। विपक्ष ने गुरुवार और शुक्रवार को इस मुद्दे पर दोनों सदनों में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान की मांग की। सरकार ने दोनों सदनों में इस पर चर्चा नहीं होने दी तो हंगामा हुआ।

लोकसभा स्पीकर ने खराब आचरण का आरोप लगाते हुए इंडिया गठबंधन के 13 सांसदों और राज्यसभा में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को शेष सत्र के लिए सदन से निष्कासित कर दिया गया। विपक्ष का मूड बता रहा है कि वो सोमवार 18 दिसंबर को भी इस मुद्दे को जोरशोर से उठाने जा रहा है। दोनों सदनों में 20 से ज्यादा नोटिस देकर इस पर चर्चा की मांग की गई है।

लगातार हंगामे की वजह से लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इंडिया गठबंधन के 33 सांसदों को दोपहर बाद निलंबित कर दिया। स्पीकर ने कहा कि निलंबित सांसद सदन में पोस्टर दिखा रहे थे। निलंबित सांसदों में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी के अलावा डीएमके सांसद टी. आर. बालू और दयानिधि मारन और टीएमसी के सौगत रॉय शामिल हैं।

31 सांसदों को शेष शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया, तीन को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट लंबित रहने तक निलंबित कर दिया गया। ये तीन सांसद जयकुमार, विजय वसंत और अब्दुल खालिक नारे लगाते हुए अध्यक्ष के आसन पर चढ़ गए थे। इन सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन में पेश किया। बाद में इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।

मीडिया से बात करते हुए, अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार तानाशाही तरीके से व्यवहार कर रही है और संसद को भाजपा मुख्यालय के रूप में मान रही है। उन्होंने कहा कि सत्र शुरू होने के बाद से ही विपक्ष सरकार के साथ सहयोग कर रहा है। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने सदन में हंगामे पर अपनी टिप्पणी में कहा- विपक्ष संसद सुरक्षा सेंध मामले का राजनीतिकरण न करे।

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