बिलकिस बानो गैंगरेप में दोषियों की रिहाई के खिलाफ सात अगस्त को होगी अंतिम सुनवाई
बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अब इस मामले में अंतिम सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय की है। 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। तब बिलकिस बानों करीब 21 वर्ष की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं। दंगे में उनकी तीन वर्ष की बेटी समेत परिवार के कई लोगों की हत्या भी कर दी गई थी। इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया गया था।
ये सभी दोषी जेल में अपनी सजा काट रहे थे लेकिन पिछले वर्ष 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने इन सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया था। इसके बाद बिलकिस बानो ने 30 नवंबर 2022 को गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी। इसके साथ ही कई अन्य लोगों ने भी जनहित याचिका दायर की थी।
गैंगरेप केस में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अब इस मामले में अंतिम सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय की है। सोमवार की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सभी 11 दोषियों को नोटिस दिया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से जवाब और लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान बिलकिस बानो की वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि याचिका में सभी दलीलें पूरी हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि गुजरात सरकार ने इन 11 दोषियों को क्षमा करने वाला मूल आदेश अब दिया है। हम उसमें जवाब देना चाहते हैं क्योंकि उसमें कुछ नए तथ्य हैं।
इस दौरान बिलकिस बानो की वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक 1 जून को सभी दोषियों को समाचार पत्रों के माध्यम से नोटिस दिए गए हैं। 7 जून को कोर्ट में दाखिल हलफनामा में इसकी जानकारी भी दी गई थी।
वहीं गुजरात सरकार और केंद्र की सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मूल आदेश राज्य सरकार की ओर से रिकॉर्ड पर रखा गया है। अगर इसे याचिकाकर्ता अपने पास रखना चाहते हैं तो हमें कोई परेशानी नहीं है।
दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हम अंतिम सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय कर रहे हैं। तब तक इससे जुड़े सभी पक्ष अपने जवाब, लिखित दलीलें कोर्ट में सबमिट कर दें।
कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिकाकर्ता के वकीलों से कहा कि आपकी लिखित दलीलें तर्कों पर केंद्रित होनी चाहिए। कोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना जवाबी हलफनामा दायर करने की भी अनुमति दे दी है।