लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद भी, मोदी सरकार की नीतियों में कोई तब्दीली नहीं: ओवैसी

लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद भी, मोदी सरकार की नीतियों में कोई तब्दीली नहीं: ओवैसी

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों से कोई सबक नहीं लिया है। उन्होंने UAPA (गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम) कानून अधिनियम विधेयक 2019 पर कड़ी आपत्ति जताई है।

ओवैसी ने इस विधेयक को अल्पसंख्यकों और अन्य सामाजिक समूहों के खिलाफ दमनकारी बताया। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना सबूत के आतंकवादी घोषित किया जा सकता है, जो कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। ओवैसी ने आगे कहा कि इस तरह के कानूनों का उपयोग असंतोष को दबाने और नागरिक अधिकारों का हनन करने के लिए किया जा सकता है।

ओवैसी ने संसद में अपने संबोधन के दौरान कहा, “लोकसभा चुनावों में जनता ने स्पष्ट संकेत दिए थे कि उन्हें किस प्रकार की सरकार चाहिए। लेकिन मोदी सरकार ने इन संकेतों को अनदेखा कर दिया है और दमनकारी नीतियों को जारी रखा है। UAPA कानून में संशोधन करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और इससे अल्पसंख्यक समुदायों में भय का माहौल पैदा होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक संविधान के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठते हैं। ओवैसी ने चेतावनी दी कि इस तरह के कानूनों से देश में सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द्रता प्रभावित हो सकती है।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, और अन्य विपक्षी दलों ने भी ओवैसी की बात का समर्थन किया और कहा कि यह विधेयक नागरिक अधिकारों का हनन है। विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग की है और कहा है कि इसे पुनर्विचार के लिए संसदीय समिति को भेजा जाए। उधर, सरकार का कहना है कि यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। सरकार के अनुसार, इस विधेयक का उद्देश्य आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है और इसे राजनीतिक प्रतिशोध के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।

विधेयक पर जारी इस विवाद ने संसद में एक बार फिर गर्मी पैदा कर दी है। ओवैसी और अन्य विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर सड़कों पर भी विरोध प्रदर्शन की धमकी दी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और क्या इस विधेयक को पास करने में कोई परिवर्तन किया जाएगा या नहीं।

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