कोरोना महामारी ने 23 करोड़ भारतीयों को गरीबी में धकेल दिया: रिपोर्ट, कोरोना महामारी ने इंसानों के साथ साथ अर्थव्यवस्था पर भी बुरी तरह कहर बरपाया है, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में कोरोना महामारी (Covid-19) ने लगभग 23 करोड़ भारतीयों को गरीबी में धकेल दिया है।
सियासत डॉट कॉम के अनुसार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक साल में ग्रामीण गरीबी दर में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और शहरी गरीबी दर में लगभग 20 अंकों की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार इस महामारी का सबसे ज़्यादा असर गरीब घरों और परिवारों में देखा गया है साथ ही अप्रैल और मई में, 20 प्रतिशत गरीब परिवारों ने अपनी पूरी आय खो दी है। इसके विपरीत अमीर घरों को अपने पूर्व-महामारी आय के एक चौथाई से भी कम का नुकसान हुआ है।
इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 2020 के अंत तक लगभग 1.5 करोड़ मज़दूर काम के सिलसिले में बाहर रहे और इस दौरान अप्रैल-मई 2020 में लगभग 10 करोड़ लोगों ने अपनी नौकरी गवां दी।
लॉकडाउन के दौरान और बाद के महीनों में 61 प्रतिशत लोग ही जॉब में रहे जबकि 7 प्रतिशत लोगो ने रोजगार खो दिया और काम पर नहीं लौटे। और केवल 19 प्रतिशत महिलाएं ही इस दौरान अपनी जॉब बचाने में कामयाब रही जबकि 47 प्रतिशत को लॉकडाउन के दौरान स्थायी नौकरी का नुकसान उठाना पड़ा, 2020 के अंत तक भी काम पर नहीं लौटे।
रिपोर्ट से पता चला है कि इस महामारी ने ने युवाओं को अधिक प्रभावित किया 15-24 वर्ष की आयु वाले युवाओं में लगभग 33 प्रतिशत युवा दिसंबर 2020 तक भी रोजगार प्राप्त करने में असफल रहे। 25-44 वर्ष वाले लगभग 6 प्रतिशत ऐसे थे जिनको दिसंबर के आखिर तक रोज़गार नहीं मिला।
रिपोर्ट से पता चलता है कि महामारी के कारण ज़्यदातर लोगों की आय में भारी गिरावट आई है जिसके परिणामस्वरूप गरीबी में अचानक वृद्धि हुई है। महिलाएं और युवा कार्यकर्ता असंतुष्ट रूप से प्रभावित हुए हैं।