अमृतपाल सिंह का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नहीं होने पर आप ने उठाए सवाल

अमृतपाल सिंह का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नहीं होने पर आप ने उठाए सवाल

पंजाब के मानसा जिले के गांव कोटली कलां के अमृतपाल सिंह महज 19 साल की उम्र में ही सेना में अग्निवीर के तौर पर भर्ती हुए थे। जम्मू-कश्मीर के राजौरी अमृतपाल सिंह की तैनाती की गई थी। इसी बीच 11 अक्टूबर को अमृतपाल सिंह ने अपनी ही राइफल से गोली चलाई जिससे उसकी जान चली गई।

अमृतपाल सिंह की हत्या के बाद उसका अंतिम संस्कार शुक्रवार को उसके पैतृक गांव कोटली कलां में किया गया है। राजकीय सम्मान के साथ अमृतपाल सिंह का अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें सेना के जवान भी शामिल हुए। वहीं अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ नहीं किया गया है।

अमृतपाल सिंह का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ नहीं किया गया है, जिसे लेकर राजनीति भी होने लगी है। इस मामले पर आम आदमी पार्टी ने सैन्य सम्मान के साथ ‘अग्निवीर’ अमृतपाल सिंह का अंतिम संस्कार नहीं किए जाने को लेकर सवाल उठाए है। ‘आप’ के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सिंह का परिवार पेंशन का हकदार नहीं होगा क्योंकि उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जाएगा।

चड्ढा ने कहा, ‘‘सेना की कोई इकाई उनके शव को सौंपने नहीं आई। उनके शव को एक निजी एम्बुलेंस में लाया गया और उन्हें कोई सैन्य सम्मान नहीं दिया गया। लेकिन पुलिस ने उनके अंतिम संस्कार के दौरान उन्हें राजकीय सम्मान दिया।’’ उन्होंने कहा कि इससे भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र की नीतियों पर ‘‘गंभीर सवाल उठता है’’।

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार अमृतपाल सिंह के परिवार को सम्मान राशि के रूप में एक करोड़ रुपये की राशि देगी और उन्हें शहीद का दर्जा भी देगी। दुख की इस घड़ी में पंजाब सरकार उनके साथ है।’’

आप द्वारा उठाए गए सवाल पर अब सेना ने जवाब दिया है। सेना ने काह कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है। ऐसे में उनका अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ नहीं किया गया है क्योंकि खुद को पहुंचाई गई चोट के कारण निधन होने पर सैन्य सम्मान नहीं दिया जाता है। सेना ने कहा है कि सैनिकों के बीच इस मामले पर कोई भेदभाव नहीं करती है कि वो अग्निपथ योजना के जरिए सेना में जुड़े हैं या नहीं।

बता दें कि सेना पर आरोप भी लगाए गए थे कि अमृतपाल सिंह का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ नहीं किया गया क्योंकि वो एक अग्निवीर सैनिक थे। सेना ने ऐसे आरोपों को सिरे से नकारते हुए इन्हें बेबुनियाद बताया है।

बता दें कि सेना के नगरोटा मुख्यालय स्थित व्हाइट नाइट कोर ने शनिवार को कहा कि सिंह ने राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। रविवार रात एक बयान में सेना ने कहा कि सिंह की दुर्भाग्यपूर्ण मौत से संबंधित तथ्यों की कुछ ‘‘गलतफहमी और गलत बयानी’’ हुई है।

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