कांग्रेस मुक्त अभियान को साकार करने में जुटी आप और टीएमसी पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और दिल्ली में सत्ता पर आसीन आम आदमी पार्टी कांग्रेसी नेताओं को लुभाने में लगी हुई है।
कांग्रेस मुक्त अभियान कहने को भाजपा का अभियान था लेकिन भाजपा के इस अभियान को साकार करने में अब सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय दल भी लगे हुए हैं। 7 फरवरी 2000 19 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने संबोधन में कहा था कांग्रेस मुक्त भारत मेरा नारा नहीं है बल्कि मैं तो महात्मा गांधी की इच्छा पूरी कर रहा हूं।
उस समय चुनाव अभियानों में देशभर में इस नारे को काफी लोकप्रियता मिली थी। मौजूदा समय में भी भारतीय राजनीति में इस नारे की झलक दिखाई तो पड़ती है लेकिन अब तथाकथित कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में बीजेपी के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और दिल्ली की सत्ता पर आसीन आम आदमी पार्टी भी हिस्सेदारी लेती हुई नजर आ रही है।
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष की रूपरेखा क्या होगी यह अलग बात है लेकिन वर्तमान में तो टीएमसी और आप पार्टी देश की सबसे पुरानी पार्टी को अपने अपने गढ़ में नुकसान पहुंचाने में लगी हुई हैं। पश्चिम बंगाल और दिल्ली में भाजपा को हराने में सफल रहे दोनों दल बेहद उत्साहित हैं। दोनों ही दलों का मानना है कि इस जीत के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना दम खम दिखा सकते हैं।
दोनों क्षेत्रीय दलों का विकास कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहा है। टीएमसी और आप कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में लाने के लिए लुभा रही हैं। वह विपक्ष में कांग्रेस की जगह लेने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
पंजाब , राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की बहुमत की सरकार है जबकि झारखंड , तमिलनाडु और महाराष्ट्र में वह गठबंधन सहयोगी के रुप में सरकार चला रही है। इनके अलावा उत्तराखंड और गोवा जैसे राज्य भी हैं जहां कांग्रेस की बीजेपी से सीधी टक्कर है।
देखना ही होगा इन राज्यों में आप और टीएमसी की रणनीति क्या होगी। भले ही यह दल जीत तो दूर इन राज्यों में दूसरे स्थान तक भी पहुंचने में सक्षम न हों लेकिन वह कांग्रेस के जनाधार में सेंध जरूर लगा सकते हैं।
उत्तर पूर्वी राज्य त्रिपुरा में भी टीएमसी ने 2023 में होने वाले चुनाव के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है जबकि कांग्रेस यहां भाजपा के हाथों सत्ता गंवाने वाले वाम दल के साथ गठबंधन की कोशिश कर रही है।
त्रिपुरा में टीएमसी की तैयारियों से लग रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्य दावेदार के तौर पर उतरेगी। टीएमसी की ओर से उसके वरिष्ठ नेता लगातार त्रिपुरा के दौरे कर रहे हैं। हाल ही में उत्तर पूर्व में कांग्रेस की कद्दावर नेता सुष्मिता देव ने पार्टी छोड़कर टीएमसी को ज्वाइन किया है।
सुष्मिता देव ने हालांकि साफ शब्दों में कहा था कि मैं गांधी परिवार के खिलाफ कुछ नहीं बोलने वाली हूं। उनसे मुझे बहुत कुछ मिला है लेकिन मुझे लगता है कि मैं यहां {टीएमसी में} अपना काम बेहतर तरीके से कर सकती हूं।
सुष्मिता देव से पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिषेक मुखर्जी भी कांग्रेस छोड़कर टीम सी में शामिल हो चुके हैं।
कहा जा रहा है कि दिल्ली, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ नेता भी टीएमसी की निगाहों में हैं। हालांकि टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि ‘ हम किसी को शिकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन हां हम भी एक राजनीतिक दल हैं , कोई एनजीओ नहीं।
वहीँ बात करें आम आदमी पार्टी की तो, कभी कांग्रेस छोड़कर इस दल में गए अजय कुमार और अलका लांबा जैसे बड़े चेहरे घर वापसी कर चुके हैं। आप निचले स्तर पर अपने पार्टी के विकास की कोशिशों में लगी हुई है।
2022 में दिल्ली में एमसीडी चुनाव के को ध्यान में रखते हुए आम आदमी पार्टी कांग्रेस नेताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। वहीँ पंजाब की बात करें तो आप मुख्यमंत्री पद के लिए किसी सिख चेहरे की तलाश में हैं और इसी योजना के अंतर्गत कांग्रेस के नाराज नेताओं से उसकी बातचीत जारी है।
एक आप नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि इन राज्यों में कांग्रेस नेताओं का अनुभव हमारी जैसी नई पार्टी के काम आ सकता है। हम उन राज्यों में प्रवेश करना चाहते हैं जहां कांग्रेस की सीधी टक्कर बीजेपी से है।