दिल्ली दंगे में आरोपी बनाए गए 6 निर्दोष बरी

दिल्ली दंगे में आरोपी बनाए गए 6 निर्दोष बरी

दिल्ली दंगा: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों 2020 के एक महत्वपूर्ण मामले में शामिल सभी 6 आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। इन आरोपियों पर हंगामा, चोरी, तोड़फोड़ और आगजनी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे, लेकिन पुलिस उनके खिलाफ एक भी सबूत पेश नहीं कर सकी। बरी किए गए लोगों में हाशिम अली, अबू बकर, मोहम्मद अज़ीज़, राशिद अली, नजमुद्दीन उर्फ भोला और मोहम्मद दानिश शामिल हैं। यह मामला करावल नगर थाने में दर्ज किया गया था। अदालत में इन आरोपियों की पैरवी जमीयत उलमा-ए-हिंद के वकीलों ने सफलतापूर्वक की जमीयत उलमा-ए-हिंद ने दिल्ली दंगों में शामिल किए गए अब तक 61 मुस्लिमों को बाइज्जत बरी करवाया है।

मामला क्या है?
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की हिदायत पर जमीयत के वकील एडवोकेट सलीम मलिक, हाशिम अली और राशिद अली के मामले की पैरवी कर रहे थे जबकि जमीयत उलमा के दूसरे वकील एडवोकेट शमीम अख्तर, अबू बकर की पैरवी कर रहे थे। बरी किए गए लोगों में शामिल हाशिम अली दिल्ली के शिव विहार की उसी मदीना मस्जिद के मुतवाली भी हैं, जिसे दंगाइयों ने 6 सिलेंडर ब्लास्ट कर के तबाह कर दिया था और उनका घर भी जला दिया गया था।

हैरान करने वाली बात यह है कि पुलिस ने पीड़ित पर ही मामला दर्ज कर दिया था, जिस पर स्थानीय अदालत ने मामले की शुरुआत में ही आलोचना की थी। अभियोजन ने आरोप लगाया था कि आरोपी एक भीड़ का हिस्सा थे जिसने वादी की संपत्ति को दंगे में तबाह कर दिया था। गवाहों में शामिल वादी नरेश चंद और उनके बेटे उमाकांत ने सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर आरोपियों की पहचान की थी।

वकीलों ने क्या दलील दी?
इस मामले में आरोपियों का बचाव करते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के वकीलों ने दलील दी थी कि आरोपियों के शामिल होने का कोई सबूत नहीं है। इसी तरह गवाहों की पहचान की कमी की ओर भी इशारा किया और कहा कि सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स ने आरोपियों के शामिल होने को अंतिम रूप से साबित नहीं किया है। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पीड़ितों को ही आरोपियों की सूची में शामिल कर दिया गया है।

अदालत ने सभी सबूतों और वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि कोई भी गवाह सीसीटीवी फुटेज से आरोपियों की स्पष्ट पहचान नहीं कर सका। इसी तरह जज ने सीसीटीवी फुटेज में आरोपियों की मौजूदगी की पुष्टि के लिए वैज्ञानिक जांच की कमी की भी आलोचना की और फैसला सुनाया कि आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं और इन 6 को बाइज्जत बरी कर दिया।

दिल्ली दंगों के मामलों का हाल
दिल्ली दंगों में पुलिस ने 2,619 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से कुल 758 एफआईआर दर्ज करते हुए 2,166 को गिरफ्तार किया गया था। अब तक 2,094 आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जा चुका है। इनमें से 172 ऐसे आरोपी हैं जिन्हें 4 साल बाद भी जमानत नहीं मिल सकी है। इसके साथ ही 10 आरोपियों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार किया गया था और यह सभी के सभी मुस्लिम हैं। इनमें उमर खालिद भी शामिल हैं।

जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से दिल्ली दंगों के मामलों में 261 ट्रायल केस लड़े जा रहे हैं जिनमें अब तक 61 आरोपियों को बाइज्जत बरी करवाया गया है। इस समय 199 केस चल रहे हैं। इसी तरह 585 आरोपियों की जमानत जमीयत उलमा की सफल पैरवी से हुई है। जमीयत जिन मामलों की पैरवी कर रही है उनमें से 4 आरोपियों को सजा दी गई है लेकिन इनमें भी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए वकील तैयारी कर रहे हैं।

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