भारत-पाक संघर्ष विराम ने शांति और सुरक्षा की भावना में योगदान दिया: सेना प्रमुख, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि पिछले तीन महीनों से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच संघर्ष विराम ने शांति और सुरक्षा की भावना में योगदान दिया है और ये संबंधों के सामान्यीकरण की दिशा में पहला कदम है।
पीटीआई को दिए एक विशेष इंटरव्यू में, जनरल नरवणे ने कहा कि युद्धविराम का मतलब ये बिलकुल भी नहीं है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई रुक गई है
जनरल नरवणे ने कहा कि युद्धविराम समझौते के पालन ने क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की समग्र भावना में “निश्चित रूप से” योगदान दिया है और लंबे समय से जारी विवाद के बाद शांति की संभावनाओं को बढ़ावा दिया है।
बता दें कि तनाव को कम करने के उद्देश्य से भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं ने 25 फरवरी को घोषणा की थी कि वे 2003 के युद्धविराम समझौते के लिए खुद को प्रतिबद्ध करते हुए नियंत्रण रेखा के पार गोलीबारी बंद कर देंगे।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सेनाध्यक्ष ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा: “एलओसी पर संघर्ष विराम का मतलब ये नहीं है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई रुक गई है। क्योकि अभी हमारे पास कोई ऐसा ठोस साबुत नहीं है जिससे ये समझा जाए कि पाकिस्तानी सेना ने एलओसी पर आतंकी ढांचे को खत्म कर दिया है।
युद्धविराम का जिक्र करते हुए, जनरल नरवणे ने कहा कि समझौता लागू होने के बाद दोनों सेनाओं द्वारा सीमा पार से गोलीबारी की एक भी घटना नहीं हुई, हालांकि जम्मू सेक्टर में पाकिस्तानी रेंजर्स से जुड़ी एक घटना थी।
“इस साल जम्मू और कश्मीर में हमने हिंसा के स्तर में भारी कमी देखी गई है। सुरक्षा बल और अन्य सरकारी एजेंसियां आतंकी समूहों पर दबाव बनाए रखने के लिए काम कर रही हैं।
जनरल नरवणे ने कहा, “केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के प्रयासों और आतंकवादी घटनाओं में कमी में निरंतरता हमें हमारे साथ अच्छे पड़ोसी संबंधों को बढ़ावा देने के पाकिस्तानी इरादे के बारे में आश्वस्त करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी।”
उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा के पार नागरिक और सैन्य जीवन के भारी नुकसान के कारण 2003 के युद्धविराम समझौते का पालन करने पर नए सिरे से जोर दिया गया था। साथ ही ‘गोलीबारी बंद करना दोनों सेनाओं के बीच विश्वास कायम करने, शांति का मौका देने और एलओसी पर रहने वाली आबादी के हित में है।
सेना प्रमुख ने कहा कि भारत संघर्षविराम जारी रखना चाहेगा ताकि वह संबंधों में स्थिरता और सुधार में योगदान दे सके। और ये संघर्ष विराम पाकिस्तान के साथ संबंधों के सामान्यीकरण की दिशा में पहला कदम है। अपनी तरफ से हम संघर्षविराम जारी रखना चाहेंगे ताकि यह संबंधों में स्थिरता और सुधार में योगदान दे सके।
जनरल नरवने ने यह भी कहा कि स्थानीय युवाओं की आतंकवादी संगठनों में भर्ती में भी कमी देखी गई है, ये hamaare लिए इस बात का सबूत है कि आम लोग शांति चाहते हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि “हम शांति कायम रखने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस साल आर्थिक गतिविधि अच्छी तरह से शुरू हुई थी, लेकिन कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत के कारण धीमी हो गई है,
उन्होंने कहा, “युवा उज्ज्वल हैं और कई लोगों ने खेल और शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन करके, अपने परिवार, अपने गांव, शहर, जिले और केंद्र शासित प्रदेश का नाम रोशन करके अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।”
जनरल नरवने ने कहा कि भारतीय सेना विभिन्न खेल और शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करके ऐसी आकांक्षाओं को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करती है।
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि सरकार और ‘आवाम’ के ठोस प्रयासों से यह समस्या खत्म हो जाएगी।”
ग़ौर तलब है कि कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए पाकिस्तान लगातार प्रयास कर रहा है। अगस्त 2019 में केन्डर्स सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस लेने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अपने फैसले की घोषणा के बाद पड़ोसी देश ने अपना भारत विरोधी अभियान तेज कर दिया।
जबकि भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में इस्लामाबाद के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है। और आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है