क्या भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में सबकुछ बेचने का ऐलान किया था?: राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में पत्रकारों से बातचीत करते हुए केंद्र साकार पर करारा प्रहार किया है।
बता दें कि किसान पिछले दस महीने से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं
किसान नेता राकेश टिकैत ने ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार किसी राजनीतिक दल की सरकार होती तो किसानों की बात जरूर सुनती। लेकिन फिलहाल की केंद्र सकरार देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां और देश के बड़े-बड़े उद्योगपति घराने की सरकार है। टिकट ने कहा कि ये बड़े लोगों की सरकार है। इसीलिए मोदी सरकार किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार नहीं है।
बता दें कि किसान नेता राकेश टिकैत ने पूछा कि फिलहाल केंद्र सरकार देश की संपत्ति बेच रही है मैं सरकार से पूछना चाहता हूँ कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले अपने चुनावी मेनिफेस्टो में सब कुछ बेचने का ऐलान किया था?
राकेश टिकैत का कहना था कि हम किसानों का आंदोलन केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को खत्म करवाने के साथ-साथ, देश को बचाने का आंदोलन भी है।
टिकैत का कहना था कि अगर हमारे आंदोलन में पंजाब के लोग आ आते हैं तो सरकार हमको खालिस्तानी कह देती है और अगर मुस्लिम आ जाते तो सरकार हमको पाकिस्तानी कह देती है। हालाँकि हमारा ये आंदोलन कृषि क़ानूनों के साथ साथ देश को बचाने के लिए भी है
उन्होंने ने कहा कि केंद्र सरकार इस आंदोलन से लोगों को तोड़ने का काम कर रहे हैं जबकि मैं साफ़ कह रहा हूँ कि सरकार कभी भी इसमें कामयाब नहीं होगी क्योंकि ये आंदोलन देश का है और ये लड़ाई उन नौजवानों की भी है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2 करोड़ रोजगार देने के वादे के खिलाफ खड़े हुए हैं।
पत्रकारों से बात करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि पीएम मोदी ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने का वादा किया था। अब साल 2022 से किसान अपनी फसलें दोगुने दाम पर ही बेचेंगे। इसका इंतजाम सरकार कर ले।
बता दें कि पीएम मोदी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और कई अन्य राज्यों में साल 2022 में किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। तो अब हम अगले साल जनवरी के महीने से अपनी फसल को दोगुने दामों पर ही बेचेंगे या फिर सरकार बताए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठ बोल रहे हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले 10 महीने से नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार तीनों कृषि विरोधी कानून को वापस नहीं लेती उनका आंदोलन चलता रहेगा ।