उत्तर प्रदेश चुनाव जीतने के लिए भाजपा ‘लक्षद्वीप’ में आग लगाने पहुंच गई है: कन्हैया कुमार

उत्तर प्रदेश चुनाव जीतने के लिए भाजपा ‘लक्षद्वीप’ में आग लगाने पहुंच गई है: कन्हैया कुमार, भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप है, और इसका शुमार भारत के सर्वाधिक सुंदर राज्यों में से एक है, लेकिन अब इस सुंदरता को किसी की नज़र लग गई है।

चारों ओर समुद्र से घिरे इस राज्य में हालिया दिनों में राजनीतिक संकट मंडला रहा है, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 की आड़ में विरोधाभास की सियासत शुरू हो गई है।

सेंट्रल सरकार द्वारा इस राज्य में तैनात प्रशासक प्रफ़ुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 पेश किया गया है, इसके ख़िलाफ़ लक्षद्वीप में आंदोलन और विरोध का माहौल बनने लगा है। और साथ ही इसका असर देश की सियासत पर गहराने लगा है, देश भर में इस नए मसौदे पर मंथन शुरू हो चुका है, लक्षद्वीप के लोगों द्वारा इसे दमनात्मक क़ानून बताया जा रहा है, जबकि प्रशासक प्रफ़ुल्ल खोड़ा पटेल इसे सुधार और विकास का क़ानून बता रहे हैं।
वहीं इस चर्चित मामले पर CPI नेता और JNU स्टूडेंट यूनियन के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने ट्वीट करते हुए BJP पर निशाना साधते हुए कहा कि लक्षद्वीप के माहौल में इस नए मसौदे को आग लगाने वाला बताया।

कन्हैया कुमार ने कहा: लक्षद्वीप का यह नया मसौदा UP विधानसभा चुनाव जीतने की कोशिश है, भाजपा UP चुनाव जीतने के लिए लक्षद्वीप जा चुकी है, भाजपा वाले यह लोग आग दक्षिण में लगाएंगे और फ़ायदा उत्तर में उठाएंगे।

इस नए मसौदे का विरोध केवल विपक्षी दल कांग्रेस नहीं कर रहा बल्कि ख़ुद BJP में से एक धड़ा इसका विरोध करते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कर चुकी है।

इस नए मसौदे एक अनुसार लक्षद्वीप का प्रशासक किसी की भी सम्पत्ति ज़ब्त कर सकता है या उसके असली मालिक को हटा कर ख़ुद क़ब्ज़ा कर सकता है, साथ ही स्कूलों में मांसाहारी खाने पर रोक लगाने का प्रस्ताव भी इस मसौदे में शामिल है।

इसी तरह वहां शराब पीने पर पाबंदी है लेकिन BJP उसे हटाने के प्रयास में लगी है, साथ ही बीफ़ बैन करने का प्रावधान भी मसौदे में शामिल है।

सबसे ख़तरनाक चीज़ जो BJP वहां लागू करना चाहती है वह यह कि प्रशासक अगर चाहे तो बिना किसी सार्वजनिक खुलासे के किसी को भी एक साल तक जेल भेजने की इजाज़त दे सकता है।

लक्षद्वीप में मर्डर और रेप जैसे अपराध की तादाद शून्य है, ऐसे में इस तरह के दमनात्मक नियमों की आवश्यकता ही क्या है? यह वह सवाल है जिसे लक्षद्वीप की जनता उठा रही है।

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