उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन का उत्पादन शुरू, बढ़ते ‘ब्लैक फंगस’ मामलों का सामना करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने चिकित्सकीय रूप से ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) नामक बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन के उत्पादन की घोषणा की है।
ब्लैक फंगस एक कवक संक्रमण है जो म्यूकर मोल्ड के संपर्क में आने के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद और सड़ने वाले फलों और सब्जियों में पाया जाता है। अभी तक इस बीमारी के इलाज के लिए एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन को एंटी-फंगस दवा के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तृप्ति बहुगुणा ने एएनआई से बात करते हुए कहा है कि उत्तराखंड के रुद्रपुर में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन का उत्पादन शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि गुरुवार तक 12,000 इंजेक्शन की एक खेप पहुंचा दी जाएगी, जिसके बाद राज्य को इस बीमारी से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
बहुगुणा ने बताया कि ये इंजेक्शन थोक में नहीं बनाए गए थे क्योंकि म्यूकोर्मिकोसिस एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति थी। “इंजेक्शन के लिए कच्चा माल बाहर से लाना पड़ता है,
डॉक्टर ने बताया कि ब्लैक फंगस के उपचार के संबंध में मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) जारी की गई हैं, साथ ही उन्होंने कहा कि ये कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन वर्तमान समय में चल रही कोरोना महामारी के कारण इसका प्रकोप ज़्यादा हो गया है।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा कि राज्य में टीकों की कमी है लेकिन नियमित रूप से ताजा आपूर्ति आ रही है। एसआईआई द्वारा निर्मित कोविशील्ड ने 1.50 लाख टीके उपलब्ध कराए गए हैं जो और अगले सप्ताह से 10 दिनों के भीतर राज्य निजी अस्पतालों में पहुंच जाएगें।
बता दें कि कल उत्तराखंड की राज्य सरकार ने ‘ब्लैक फंगस’ को महामारी घोषित कर दिया है ।