अमरनाथ हादसे की जांच कर सरकार को जवाब देना चाहिए: फारूक अब्दुल्ला
अमरनाथ हादसे को लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि इस जगह पर आज तक कोई कैंप नहीं लगाया गया, ऐसा पहली बार हुआ है. पंजतरणी में कोई कुछ नहीं डाल सकता, यह तो हमेशा से चला आ रहा है। फारूक अब्दुल्ला ने पूरे मामले की जांच की मांग की है।
अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने के बाद तबाही का मंजर है। हादसे में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अभी भी लापता हैं। वहीं, सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अमरनाथ में हुए इस हादसे के बीच कैंप की लोकेशन को लेकर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
सवाल यह है कि जहां आज तक कैंप नहीं लगाए गए, इस बार कैंप कैसे लगाए गए? और इसकी अनुमति किसने दी?
यह सवाल खुद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पूछा है। उन्होंने कहा कि इस जगह पर आज तक कोई कैंप नहीं लगाया गया है, ऐसा पहली बार हुआ कि (पंजतरणी ) में कैंप लगाया गया है।
फारूक ने कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए। मानवीय भूल भी हो सकती है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अमरनाथ यात्रा के दौरान जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस बात की जांच करेगी कि ऐसा कैसे और क्यों हुआ और मामले को सामने लाया जाएगा । सरकार को पीड़ित परिवारों को अच्छा मुआवजा भी देना चाहिए। दुःख की इस घड़ी में हम पीड़ित परिवार के साथ हैं।
केवल अमरनाथ हादसे को लेकर सवाल नहीं उठ रहा है बल्कि सवाल ये भी उठ रहा है कि जहां कैंप नहीं है लगता था वहां कैंप कैसे लगाया गया? लेकिन ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि जम्मू-कश्मीर के बनिहाल में घोषणा के दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी डॉपलर रडार काम नहीं कर रहा है. यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो अमरनाथ मंदिर में एक दर्जन से अधिक लोगों की दुखद मौतों को रोकने में मदद कर सकती थी।
डॉपलर रडार एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो भारत मौसम विभाग (आईएमडी) को बनिहाल में 100 किलोमीटर के दायरे में बादलों और बारिश की सटीक भविष्यवाणी करने की अनुमति देता है।
हालांकि दोनों की एक साथ हुई गलतियों की वजह से कहीं न कहीं इस हादसे के पीछे काफी लापरवाही हुई है. जम्मू और कश्मीर में वर्तमान में एक राज्यपाल का शासन है। ऐसे में वहां जो भी फैसले होते हैं वह राज्यपाल के संज्ञान में होते हैं और राज्यपाल केंद्र में बैठी मोदी सरकार के संपर्क में रहते हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि पंजतरणी में कैंप कैसे लगवाए गए जहां कोई कुछ भी नहीं लगा सकता। और क्या मोदी सरकार ने इन शिविरों को लगाने की अनुमति दी? अगर ऐसा है तो सरकार को आगे आकर फारूक अब्दुल्ला के इन सवालों का जवाब देना चाहिए।