छावनी की जमीने नीलाम होने जा रही हैं!!! ?
आप बड़ा खेल समझ नहीं पा रहे हैं, …….आपको पता नही होगा कि सेना के पास देश में रेलवे से भी अधिक संपत्ति है रक्षा मंत्रालय के अधिकार में देश भर में कुल 17.95 लाख एकड़ जमीन है, जिसमें से 16.35 लाख एकड़ जमीन देश भर में फैली 62 छावनियों से बाहर है। आने वाले संसद सत्र में एक ऐसा बिल पास होने जा रहा है हैं जिसकी सहायता से देश भर में फैली हुई छावनी की जमीने नीलाम की जा सकती हैं वो भी औने पौने दाम पर ……..इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है लाखों एकड़ रक्षा भूमि के सर्वेक्षण के लिए ड्रोन इमेजरी (ड्रोन के जरिये चित्र) आधारित सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग कर सर्वेक्षण को पूरा कर लिया गया है…..
सेना से जुड़ी बाकि सरकारी संस्थाओं का भी निजीकरण किया जा रहा है कुछ दिन पहले की ख़बर है कि सेना की बेस वर्कशाप का संचालन निजी कंपनियों को सौंपा जा सकता है। इसके लिए प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। शुरुआत दिल्ली की वर्कशाप से हो सकती है। कहने को वर्कशाप सरकार के नियंत्रण में ही रहेंगी, लेकिन उनका संचालन निजी कंपनियां करेंगी और जरूरत पड़ने पर वह बाहर का कार्य भी ले सकेंगी।
220 साल पुराने 41 देश भर में फैले आयुध कारखाने एक अक्तूबर 2021 से सात कंपनियों में विभाजित हो गए है। 2021 में रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए साजोसामान बनाने वाले ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ‘ओएफबी’ को भंग कर दिया है। ओएफबी की संपत्ति व कर्मचारी भी अब सात सरकारी कंपनियों में ट्रांसफर कर दिए गए हैं, इन कंपनियों को सेना से काम मिलेगा, इस बात की कोई गारंटी नहीं है
इसकी पूर्ति के लिए जनता के सामने मेक इन इण्डिया जेसे जुमले फेंक कर अपने मित्र उद्योगपतियों की फैक्ट्रीया खुलवाई जा चुकी हैं उपरोक्त सरकारी आयुध कारखानों का निगमीकरण कर उन्हे ठिकाने लगाने की पूरी तैयारी है और इसीलिए बाबा कल्याणी जैसे उद्योगपति सरकार की अग्निविर योजना का जमकर समर्थन कर रहे हैं
आप पूछेंगे कि इन सब बातों का अग्निपथ/अग्निवीर का क्या संबंध है ?…….इसके लिए आपको मनोविज्ञान को समझना होगा !
दरअसल हम और आप भी किसी निजी संस्थान या फैक्ट्री में दस बारह साल लगातार काम कर ले तो उस संस्था के साथ लगाव सा महसूस करते है उस संस्थान को अपना ही मानने लगते हैं, और फौज के साथ तो राष्ट्र सेवा और देश की रक्षा जैसी लेगेसी जुड़ी हुई है, अभी जो फौजी है वो अपनी रेजीमेंट से अपनी सेना से अटूट जुड़ाव महसूस करते हैं….. सेना में नई भर्तियों का निकाला जाना वर्षो से बंद है और अभी जो अग्निवीर योजना निकाली गई है उसमे सैनिक मात्र चार साल की सर्विस देकर रिटायर कर दिए जाएंगे ….. वह सेना के साथ वह जुड़ाव महसूस बिल्कुल भी महसूस कर पाएंगे जो दशकों की सेवा के बाद एक जवान को महसूस होता है इसलिए सेना से जुड़े संस्थानों को बेचे जाने पर उन्हें कोई आपत्ती भी नही होगी…… और सरकार यही चाहती है न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी……..
(यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से लिया गया है)
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