फ़िलहाल अमेरिका के हालात ठीक नहीं चल रहे क्योंकि अमेरिकी इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी राष्ट्रपति को दूसरी बार महाभियोग प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा।
केपिटल बिल्डिंग हिंसा के बाद मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनके ऊपर दोबारा महाभियोग चलाने के लिए 232 अमेरिकी संसद का समर्थन मिला है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा राष्ट्रपति ट्रम्प के खिलाफ दूसरे महाभियोग प्रस्ताव को पास कर दिया है।
बता दें कि इस प्रस्ताव को रिपब्लिकन पार्टी के दस सांसदों का भी समर्थन हासिल हुआ है। इसके बाद अब सीनेट में 19 जनवरी को इस प्रस्ताव को रखा जाएगा। कॉकस के कई सदस्य चाहते हैं कि ये प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा स्पीकर नैंसी पेलोसी ने 9 महाभियोग मैनेजर को नियुक्त किया है जो ट्रम्प के मामले में बहस करेंगे। महाभियोग की इस प्रक्रिया को इस वजह से भी तेज किया गया है क्योंकि उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने केपिटल बिल्डिंग की घटना के बाद संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल करते हुए ट्रम्प का पद से हटाने से साफ इनकार कर दिया है।
अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन उप-राष्ट्रपति को ये अधिकार देता है कि यदि राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का निर्वाहन करने में नाकाम रहता है तो वो कैबिनेट की मंजूरी और सदन के दो तिहाई बहुमत के साथ राष्ट्रपति को पद से हटाकर सत्ता अपने हाथों में ले सके।
अमेरिका के कई रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सीनेटर इस बात को मानते हैं कि मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिकी लोकतंत्र के लिए खतरा बन गए हैं। लिहाजा उन्हें जल्द से जल्द पद से हटाना ही सही है।
ज़्यादातर सांसद केपिटल बिल्डिंग हिंसा के लिए भी ट्रम्प को ही दोषी भी मानते हैं। इस बीच निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मौजूदा प्रक्रिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें 25वें संशोधन से कोई खतरा नहीं है।