20 जनवरी को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्र्पति जो बाइडन का शपथ ग्रहण समरोह होना है, वह निश्चित रूप से ईरान के खिलाफ ट्रम्प की कई नीतियों में परिवर्तन लाएंगे विशेष कर बाइडन ईरान के ख़िलाफ़ ट्रम्प की अधिकतम दबाव की नीति को आगे नहीं बढ़ाना चाहेंगे।
बाइडन की टीम ईरान को वार्ता की मेज़ पर वापस लाने के लिए ट्रम्प की अधिकतम दबाव की निति के अंतर्गत लगाए गए प्रतिबंधों को कम करना चाहेगी। हालांकि, ईरानी नेताओं ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि परमाणु समझौते पर फिर से कोई बात नहीं होगी और अमेरिका को सबसे पहले समझौते में वापस लौटकर, सभी प्रतिबंधों को हटाना होगा।
इस बीच, कुछ अमेरिकी अधिकारियों को जो चिंता सता रही है वह है आईआरजीसी बल की क़ुद्स फ़ोर्स के पूर्व कमांडर जनरल क़ासिम सुलेमानी और ईरान के टॉप साइंटिस्ट मोहसिन फ़ख़रीज़ादे की हत्याओं का इंतक़ाम लेने की तेहरान की प्रतिज्ञा और बारे बार उसे दोहराते हुए उस पर बल देना !
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ईरान द्वारा सख़्त बदला लेने पर लगातार बल देना एक ऐसा ख़तरा है, जिसे बाइडन की टीम आसानी से नज़रअंदाज नहीं कर सकती। सूत्रों का मानना है कि ईरान ट्रम्प प्रशासन में विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और उन अमेरिकी एवं इस्राईली अधिकारियों को निशाना बना सकता है, जिन्होंने जनरल क़ासिम सुलेमानी और फ़ख़रीज़ादे की हत्या में भूमिका निभाई थी।
अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपतियों और उनके जीवनसाथियों को आजीवन ख़ुफ़िया सेवा का संरक्षण मिलता है, लेकिन मंत्रियों और उनके सहयोगियों को यह सुविधा हासिल नहीं होती है।
इंतक़ाम लेने के ईरान के वादे पर अमेरिकी और इस्राईली अधिकारियों को पूरा विश्वास है, यही वजह है कि उनकी नींद उड़ी हुई है और वह ट्रम्प के संरक्षण से अब बाइडन की शरण में जाना चाहते हैं। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या बाइडन ईरान की मार से उन्हें बचा पायेंगे, और उनके पापों से उन्हें मुक्ति दिल पायेंगे?