यह समय सीरिया के लिए एक कठिन इम्तेहान है: अब्बास अराक़ची

यह समय सीरिया के लिए एक कठिन इम्तेहान है: अब्बास अराक़ची

ईरान के विदेश मंत्री, सैयद अब्बास अराक़ची ने लेबनानी अखबार “अल-अखबार” में एक लेख लिखा है जिसका शीर्षक है “सीरिया कठिन परीक्षा में।” उन्होंने इस लेख में कहा कि वर्तमान समय में सीरिया और फिलिस्तीन के हालात को देखते हुए इस्लामी दुनिया पश्चिमी एशिया के भविष्य को लेकर गहरी चिंता में है।

इस्लामी दुनिया के लिए पश्चिमी एशिया का महत्व
अराक़ची ने बताया कि इस क्षेत्र के लोग, जो सदियों से इस्लामी दुनिया के राजनीतिक भविष्य को तय करने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं, कई दशकों से अपने अधिकारों की अनदेखी के कारण बड़े नुकसान झेल रहे हैं। खासतौर पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप की ईसाई-यहूदी समस्याओं का बोझ इस क्षेत्र पर डाला गया है।

फिलिस्तीन संकट और इज़रायली अत्याचार
उन्होंने कहा कि अपने कूटनीतिक करियर के दौरान फिलिस्तीन संकट हमेशा चर्चा का केंद्र रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यूरोपीय देश नाज़ी शासन की ज्यादतियों के लिए शर्मिंदा हैं, तो इज़रायल के अपराधों की जिम्मेदारी कौन लेगा? इज़रायल ने फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा किया, अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया, और लोगों के अधिकारों का हनन किया। अराकची ने 14 अक्टूबर 2024 को गाजा के “अल-अक्सा शहीद अस्पताल” पर हुए हमले को “आधुनिक नाज़ी नरसंहार” करार दिया।

सीरिया और इज़रायल की आक्रामकता
उन्होंने सवाल किया कि एक ऐसे देश पर इज़रायल के हमलों की जिम्मेदारी कौन लेगा, जो खुद आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल और बदलाव के दौर से गुजर रहा है? उन्होंने यह भी कहा कि कुछ देश केवल खेद प्रकट करते हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाते।

मध्य पूर्व के लिए प्रतिरोध ही रास्ता
अराक़ची ने लिखा कि पिछले 75 सालों से इज़रायल की ज्यादतियों का सामना करने के लिए प्रतिरोध ही इस क्षेत्र के लोगों का एकमात्र रास्ता है। उन्होंने बताया कि प्रतिरोध की यह भावना माता-पिता से उनके बच्चों में आई और हर दौर में अपनी परिस्थितियों के अनुसार प्रतिरोध के अलग-अलग रूप देखने को मिले।

सीरिया में चुनाव का सुझाव
उन्होंने कहा कि सीरिया के मौजूदा हालात को देखते हुए, वहां की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय संस्थाओं को बचाना जरूरी है। इस संकट से निकलने का सबसे अच्छा रास्ता है कि वहां के लोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के जरिए अपने भविष्य का फैसला करें। अराक़ची ने अंत में कहा कि ईरान का यह मानना है कि सभी वर्गों की भागीदारी के साथ सीरिया में एक राजनीतिक प्रणाली का निर्माण होना चाहिए, जो संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 के तहत संभव है।

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