सऊदी अरब ने इस्राईल की ख़ुशी के लिए क़ुरआन की आयतें हटाई
सऊदी अरब ने इस्राईल की ख़ुशी के लिए अपने सैलेबस से क़ुरआन की वह तमाम आयतें हटा दी हैं जिनमे बनी इस्राईल की आलोचना की गयी है या उनकी हरकतों पर टिप्पणी की गयी है.
इस्राईल के एक मशहूर थिंकटैंक IMPACT-se के हवाले से अरब मीडिया ने खबर देते हुए कहा है आले सऊद ने सऊदी अरब के सैलेबस से क़ुरआने मजीद की वह तमाम आयतें हटा दी हैं जिसमे बनी इस्राईल की आलोचना और मज़म्मत की गई है. आले सऊद ने यह काम इस लिए किया है ताकि उन्हें यहूदी विरोधी न कहा जाए.
क़ुरआन की जिन आयतों में यहूदियों पर भरोसा करने से रोका गया है जिन में नसारा से दोस्ती और उन्हें अपना वली बनाने से मना किया गया है उन्हें भी सऊदी सरकार ने स्कूलों और पाठ्य पुस्तकों से जता दिया है. यही नहीं आले सऊद ने देश के सैलेबस से उन तमाम आयतों को भी हटा दिया है जिनमे समलैंगिकता को गुनाह और हराम बताते हुए इस से दूर रहने को कहा गया है.
आले सऊद ने देश भर में जारी सैलेबस में यहूदियों विशेष कर ज़ायोनिज़्म से विरोध को नकारते हुए वह सारी बातें हटा दी गई हैं जिन में यहूदियों की अतीत में की गई हरकतों और करतूतों बयान किया गया था. अब सऊदी अरब के सैलेबस में ऐसी कोई बात नहीं मिलेगी जिसमे यहूदियों को विद्रोही लोगों के रूप में पेश किया गया हो. अब सऊदी सैलेबस में यहूदो नसारा को ग़ैर मोमिन नहीं कहा जा सकेगा.
अरब मीडिया ने वाशिंगटन पोस्ट में छपे लेख का हवाला देते हुए IMPACT -SE के निदेशक मार्कस शेफ की टिप्पणी को भी खासतौर से ज़िक्र किया कि सऊदी अरब की ओर अपने सैलेबस में बदलाव लाने का क़दम बेहद चौंकाने वाला है.