यूनियन सर्वे के अनुसार वर्कलोड और सम्मान में कमी के कारण पांच साल के अंदर 35% शिक्षको द्वारा नौकरी छोड़ दी गई है।
एन ई यू द्वारा इंग्लैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड के स्कूलों में शिक्षकों, स्कूल लीडरों और कर्मचारियों के बीच आयोजित किये गए एक सर्वे में यह सामने आया कि COVID-19 महामारी के कारण शिक्षकों पर एक साल के अंदर 70 प्रतिशत वर्कलोड बढ़ गया, जबकि 95 प्रतिशत अपने भविष्य के लिए चिंतित हैं।
द गार्डियन के अनुसार 10,000 सदस्यों के बीच हुए इस सर्वे मे 35 प्रतिशत ने 2026 तक एजुकेशनल फील्ड को छोड़ देने की इच्छा जताई, जबकि दो तिहाई यानि 66 प्रतिशत ने कहा कि इस पेशे की स्थिति खराब हो गई है इसके साथ ही उन्होंने सरकार को शिक्षकों की बात को अनसुना करने के लिए दोषी ठहराया।
कुछ ने महामारी के दौरान सरकार द्वारा शिक्षकों से ज्यादा उम्मीद और कम सम्मान दिए जाने की भी शिकायत की।
एन ई यू के संयुक्त महासचिव केविन कर्टनी ने कहा कि अगर इतने सारे शिक्षक इस पेशे को छोड़ने की सोच रहे है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नही है क्योंकि महामारी के दौरान सरकार द्वारा उन्हें कुछ नहीं मिला साथ ही उनके ऊपर कार्यभार बहुत ज्यादा डाला गया जिसके बदले उन्हें पूरा सम्मान भी नही दिया गया। उन्होंने कहा कि ये एक घोटाला है जिसमे शिक्षण पेशे को कम सम्मान दिया गया जिस कारण वे अपना अपमान महसूस कर रहे हैं।
क्रोध व्यक्त करते हुए एन ई यू ने सरकार से शिक्षकों के वेतन में 7 प्रतिशत बढ़ोतरी की मांग रखी है, साथ ही इस मांग को पूरा न करने के बदले हड़तालें करने की भी बात कही।
शिक्षा विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि हमने शिक्षक कार्यभार और शिक्षकों के हित के लिए कई प्रकार की कार्रवाहियां की है, और शिक्षकों के समर्थन के लिए लाखों का निवेश भी किया है।
इसके साथ ही हम शिक्षण पेशे के विकास में सुधार भी कर रहे हैं। इसमें उन शिक्षकों के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान की जा रही है जो अपने शुरुआती कैरियर में होने और कम अनुभवी होने के कारण शिक्षण फील्ड को छोड़ना चाहते हैं।