बाकू का दावा; अर्मेनिया द्वारा लाचिन के जंगलों को जलाया गया है

बाकू का दावा; अर्मेनिया द्वारा लाचिन के जंगलों को जलाया गया है

कई दिनों से अज़रबैजान के क्षेत्र में बर्बरता के चित्र और वीडियो सामने आ रहे हैं और अज़रबैजान के मीडिया ने इस घटना को कवर करते हुए इसका दोषी आर्मेनिया को बताया है।

समाचार एजेंसी अज़रबैजान -24 ने सोमवार को बताया कि ऐसी छवियां प्राप्त की गईं जो लाचिन के जंगलों में अर्मेनियाई लोगों द्वारा जानबूझकर लगायी गई आग को दिखाती हैं। इस समाचार सूत्र ने इस कार्रवाई को अर्मेनियाई लोगों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना बताया है। अभी तक अर्मेनियाई मीडिया ने इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

लाचिन अज़रबैजान का एक हिस्सा है जो नागोर्नो-कराबाख युद्ध के बाद से अर्मेनियाई बलों के नियंत्रण में है और नवंबर 2020 में युद्धविराम समझौते के बाद अज़रबैजानी सेना ने इस शहर पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। अर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाक़े को लेकर लगातार दूसरे दिन भीषण लड़ाई हुई। दशकों पहले से जारी इस विवाद को लेकर एक बार फिर से छिड़ी लड़ाई में सोमवार को दर्जनों लोगों के मारे जाने की ख़बर है। इस विवाद के केंद्र में नागोर्नो-काराबाख का पहाड़ी इलाक़ा है जिसे अज़रबैजान अपना कहता है हालांकि 1994 में ख़त्म हुई लड़ाई के बाद से इस इलाक़े पर अर्मेनिया का कब्ज़ा है.

1980 के दशक से अंत से 1990 के दशक तक चले युद्ध के दौरान 30 हज़ार से अधिक लोगों को मार डाल गया और 10 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके अर्मेनिया और अज़रबैजान नागोर्नो-काराबाख के इलाक़े को लेकर 1980 के दशक में और 1990 के दशक के शुरूआती दौर में संघर्ष कर चुके हैं। दोनों ने युद्धविराम की घोषणा भी की लेकिन सही मायनों में शांति समझौते पर दोनों कभी सहमत नहीं हो पाए।

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