अमेरिका का दावा, रूस पर प्रतिबंध लगाकर दलदल में फंसे पश्चिमी देश
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध इसलिए लगाए गए थे ताकि रूस की अर्थव्यवस्था की कमर टूट जायेगी मगर अमेरिका द्वारा रचा गया षड्यंत्र खुद उसके ऊपर ही उल्टा असर देखने लगा।
सूत्रों ने बताया कि हक़ीक़त तो यह है कि उन प्रतिबंधों की वजह से ख़ुद उन देशों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई है जिन्होंने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रूस – यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में शुरू में कहा गया था कि यह महाविनाश के आर्थिक हथियार हैं जो रूस की इकानोमी को ध्वस्त कर देंगे।
लेकिन सूत्रों की मानें तो यह प्रतिबंध पश्चिमी देशों के लिए दोधारी तलवार साबित होते हुए नज़र आ रहे हैं। इनसे रूस को नुक़सान तो पहुंचा है लेकिन प्रतिबंध लगाने वाले देशों पर भी भारी दबाव पड़ा है।
अमेरिकी मैगज़ीन द हिल ने लिखा कि रूस पर प्रतिबंध लगाने से सारी दुनिया में सामान और ऊर्जा की क़ीमतें बढ़ गईं इसके नतीजे में रूस में महंगे दामों पर तेल और गैस बेचा जा रहा है जबकि इसके निर्यात में गिरावट के बावजूद उसे काफ़ी रक़म हासिल की जा रही है।
दूसरी तरफ़ मानें तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल-गैस की क़ीमतें बढ़ जाने से उन देशों के अंदर भी राजनैतिक समस्याएं खड़ी हो गई हैं जिन्होंने प्रतिबंध लगाए हैं।
अमेरिकी अख़बार के अनुसार रूस को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नेटवर्क से काट दिया गया मगर इसके बावजूद रूस की मुद्रा रूबल की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध लगाए गए प्रतिबंधों में अमेरिका का साथ देने के चक्कर में जापान की करेंसी का मूल्य पिछले बीस साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया।