रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्पति पद समाप्त होने के पांच दिन बाद अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रम्प पर लगे उन मुकदमों को रोक दिया जिन में कहा गया था कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अमेरिकी संविधान के भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का उल्लघंन किया था।
इस कार्यवाही का मतलब ये है कि मुकदमे के चार साल बाद अमेरिकी न्यायिक निकाय संविधानिक कानूनों के अर्थ और दायरों पर शासन नहीं करेगा। इस कानून के अंतर्गत राष्ट्रपति को किसी भी विदेशी राज्य या सरकार से किसी भी तरह का उपहार या भुगतान स्वीकार करने पर भी रोक लगाई जाती है।
न्यायाधीशों ने निचली अदालत के उन फैसलों को खारिज कर दिया जिन्होंने मुकदमों पर रोक लगाने का आदेश दिया था, इनमें से एक मामला मैरीलैंड राज्य द्वारा दायर किया गया था और दूसरा वॉशिंगटन के वॉचडॉग ग्रुप सिटिजन्स फॉर रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड एथिक्स द्वारा दायर किया गया था। ट्रंम्प ने निचली अदालत से फैसलों की अपील की थी।
फ्राश और रेसिन ने कहा कि ट्रंम्प के न्याय विभाग ने उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को उजागर होने से रोका है।
राष्ट्रपति जो बाईडेन के प्रशासन के न्याय विभाग ने सुप्रीम कोर्ट की किसी भी कार्यवाही पर टिप्पणी देने से इंकार कर दिया है।
अभियोगियों ने बताया कि जिन लोगों ने अपने व्यवसाय से ऊपर ट्रंम्प के व्यवसाय को महत्त्व दिया था उन्होंने अपना ग्राहक संरक्षण,मजदूरी और कमीशन खो दिया।
कांग्रेसी डेमोक्रेट्स द्वारा ट्रंम्प पर दायर किया गया तीसरा मुकदमा सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए बंद कर दिया कि इस मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी कानूनी अधिकारों की कमी है।