Site icon ISCPress

यूरोप रूस के आगे हुआ बेबस, प्रतिबंधों से नहीं रोक सकता रास्ता

यूरोप रूस के आगे हुआ बेबस, प्रतिबंधों से नहीं रोक सकता रास्ता रूस और पश्चिमी जगत के बीच यूक्रेन को लेकर तनाव गहराता जा रहा है।

यूरोप रूस के आगे खुद को बेबस महसूस कर रहा है। रूस के मामले में यूरोपीय यूनियन से जुड़े देशों में लाचारी का भाव खुलकर सामने आने लगा है। इन देशों का मानना है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया तो यूरोपीय यूनियन के लिए भी इसके गंभीर आर्थिक परिणाम सामने आएंगे और उसको रोकने के लिए यूरोपीय यूनियन को कोई उपाय नहीं सूझ रहा है।

रूस के विरुद्ध कड़े तेवर दिखाते हुए हालांकि यूरोपीय यूनियन ने धमकी तो दी है कि वह मास्को के खिलाफ नए प्रतिबंध लागू करेंगे लेकिन खुद यूरोपीय यूनियन का आकलन है कि रूस के खिलाफ लगाए गए उसके प्रतिबंध अभी तक बहुत कारगर नहीं हुए हैं और रूस उन प्रतिबंधों को आसानी से सामना कर रहा है।

यूरोपीय यूनियन को चिंता इसलिए भी है कि रूस पर उसके नए प्रतिबंध प्रभावी नहीं होंगे। विशेषकर यह देखते हुए भी कि चीन मजबूती से रूस के साथ खड़ा हुआ है। यूरोपीय संघ ने धमकी दी है कि रूस यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम स्विफ्ट से बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि अगर यूरोपीय यूनियन ऐसा कदम उठाता भी है तो रूस की अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि वह पहले ही भुगतान की नई प्रणाली कायम करने के लिए चीन के साथ मिलकर काम शुरू कर चुका है।

2014 में रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप को यूक्रेन से अलग करते हुए अपने में विलय कर लिया था। तब से यूरोपीय यूनियन ने उसके खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं। यूरोपीय यूनियन अपने तमाम प्रयासों के बावजूद भी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को नियंत्रित करने में असफल रहा है। विश्लेषकों के अनुसार रूस यूरोपीय यूनियन के नए प्रतिबंधों को भी आसानी से झेल जाएगा जैसे उसने 2014 में इन प्रतिबंधों का सामना किया है और उस पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है।

विश्लेषकों का तो यह भी कहना है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद पश्चिमी देशों ने रूस को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का हिस्सा ना बना कर बहुत बड़ी गलती की थी जिसका खामियाजा उन्हें अब भुगतना पड़ रहा है। शीत युद्ध में जीत हासिल करने का दावा करने वाले पश्चिमी देशों ने रूस के मकसद को समझने में गलती की है। रूस में पश्चिमी जगत के विरोधी भावनाएं भड़की हुई हैं और पुतिन उसी का फायदा उठा रहे हैं।

नाटो के प्रसार को भी रूस अपने लिए खतरा समझता है। उसका मानना है कि यूक्रेन के माध्यम से पश्चिमी देश रूस को हानि पहुंचाना चाहते हैं। यूक्रेन सेना को पश्चिमी देशों ने बेहद शक्तिशाली बना दिया है। यूक्रेन रूस से सैन्य टकराव लेने में सक्षम है लेकिन विश्लेषकों का यह भी अनुमान है कि अगर पश्चिमी देशों से रूस का टकराव बढ़ता है तो रूस में पुतिन की लोकप्रियता और बढ़ेगी। अतः पश्चिमी जगत को ऐसे किसी भी टकराव से बचना होगा। उन्हें इंतजार करना होगा उस समय का जब पुतिन घरेलू मोर्चे पर घिर जाएं और घरेलू समस्याएं उन पर भारी पड़ने लगे।

Exit mobile version