अमेरिका: मार्सिलस विलियम्स; एक निर्दोष को बचाने की लंबी लड़ाई के बावजूद मौत की सजा
अमेरिका में 55 वर्षीय मार्सिलस खलीफा विलियम्स को कल रात ज़हरीला इंजेक्शन देकर मौत के घाट उतार दिया गया। उन पर एक श्वेत महिला की हत्या का आरोप था, जो मुकदमे की अंतिम सुनवाई तक साबित नहीं हो पाया। सबूतों की कमी के कारण 2015 और 2017 में उनकी मौत की सजा पर रोक लगाई गई थी। इस संबंध में ‘इनोसेंस प्रोजेक्ट’ ने कहा कि “आज रात, मिसौरी ने एक निर्दोष को मौत की सजा दे दी।”
अंतिम संदेश ‘हर हाल में सारी तारीफें सिर्फ अल्लाह के लिए है’ वॉयरल
मंगलवार को 55 वर्षीय मार्सिलस विलियम्स (उपनाम: खलीफा) को बून टेरे की सरकारी जेल में ज़हरीला इंजेक्शन देकर मौत की सजा दी गई। ध्यान देने वाली बात है कि उनकी मौत से 2 दिन पहले “मौत की सजा” पर अमल न करने के लिए उनके समर्थन में सोशल मीडिया पर अभियान जारी था। हालांकि, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। विलियम्स ने अपने अंतिम संदेश में लिखा, “हर हाल में सारी तारीफें सिर्फ अल्लाह के लिए हैं।” उनका लिखा यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
The state of Missouri just knowingly executed an innocent man Marcellus Williams. This was a modern day state sponsored lynching.
Rest in Power 😭
— Nine (@ninewontmiss) September 25, 2024
गौरतलब है कि मार्सिलस एक अश्वेत व्यक्ति थे, जिन्हें 2001 में 1998 में हुई एक डकैती के दौरान श्वेत महिला फेलिसिया गेल की हत्या के आरोप में सजा सुनाई गई थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि गेल की हत्या में इस्तेमाल किए गए चाकू से जो डीएनए मिला, वह मार्सिलस का नहीं बल्कि किसी अन्य व्यक्ति का था। हालांकि, जब सेंट लुइस काउंटी के अभियोजकों को आधा दर्जन अश्वेत जजों को पहले ही सेवा से हटाने की अनुमति दी गई, तो मार्सिलस को लगभग सभी श्वेत जूरी ने मौत की सजा सुनाई।
मार्सिलस को मौत की सजा का विरोध मृतक फेलिसिया गेल के परिवार और अभियोजन पक्ष के कार्यालय दोनों ने किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस संबंध में ‘इनोसेंस प्रोजेक्ट’ (गलत तरीके से सजा पाने वालों के लिए काम करने वाला समूह) ने कहा, “आज रात, मिसौरी ने एक निर्दोष को मौत की सजा दी। मिस्टर विलियम्स की कहानी हमारे देश की टूटी हुई आपराधिक न्याय प्रणाली में फंसे कई अन्य लोगों की गूंज है। एक अश्वेत व्यक्ति जिसे एक श्वेत महिला की हत्या का दोषी ठहराया गया, मिस्टर विलियम्स ने अंत तक अपनी बेगुनाही बरकरार रखी।”
People deliver more than a million petitions asking for a stay of execution for Marcellus “Khaliifah” Williams to the Missouri Governor’s office at the State Capitol following a rally in the rotunda today. pic.twitter.com/TBXGvxFVOF
— The WE project (@theWEprojectMO) September 24, 2024
उनकी सजा दो प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही पर आधारित थी, जिन्हें गवाही के लिए भुगतान किया गया था। किसी भी डीएनए साक्ष्य ने मार्सिलस को दोषी नहीं ठहराया। वर्तमान सेंट लुइस काउंटी के अभियोजक ने यह स्वीकार किया कि मुकदमे के अभियोजन पक्ष की ओर से की गई गलतियाँ, जिसमें हत्या के हथियार का गलत उपयोग करना और जानबूझकर अश्वेत जजों को संविधान का उल्लंघन करते हुए बाहर करना, ने एक व्यक्ति को गलत तरीके से दोषी बनाया।
मार्सिलस की मौत की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए, प्रसिद्ध मुस्लिम विद्वान उमर सुलेमान ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “एक अन्यायपूर्ण दुनिया से भागने वाले अन्य शहीदों के साथ आराम करो, प्रिय भाई।” याद रहे कि इस साल की शुरुआत में सेंट लुइस काउंटी के अभियोजक वेस्ली बेल, जो डेमोक्रेट कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ रहे हैं, ने विलियम्स की सजा को समाप्त करने की मांग की थी। उन्होंने उनकी बेगुनाही के स्पष्ट और विश्वसनीय सबूतों का हवाला दिया था।
इस संबंध में अमेरिका में मौत की सजा के सूचना केंद्र (DPIC) ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि “मौत की सजा, एक निर्दोष व्यक्ति को फांसी देने का अंतर्निहित खतरा रखती है।” समूह का कहना है कि “1973 के बाद से अमेरिका में कम से कम 200 ऐसे लोगों को बरी किया गया है, जिन्हें गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था।”