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अमेरिकी हमले के बाद अब आगे क्या हो सकती है ईरान की रणनीति?

अमेरिकी हमले के बाद अब आगे क्या हो सकती है ईरान की रणनीति?

ईरान-इज़रायल तनाव के बीच अमेरिका ने ईरान पर नाजायज़ हमला करके युद्ध में आपमें शामिल होने की आधकारिक घोषणा कर दी है। ईरान पहले से यह कह कहता चला आ रहा था कि, इज़रायल ने जब ईरान पर हमला करके युद्ध की शुरूआत की थी तो इसके पीछे अमेरिका खड़ा था। बिना अमेरिका की सहमति के, इज़रायली पीएम नेतन्याहू के अंदर इतना दम नहीं है कि, वह खुल्लम खुल्ला युद्ध का एलान कर सकें। नेतन्याहू प्रशासन केवल निहत्थों और कमज़ोर नागरिकों पर हमला करता है, जैसा वह ग़ाज़ा, सीरिया और लेबनान में कर रहा है।

हालाँकि हमले के कुछ ही घंटे बाद अमेरिकी रक्षामंत्री पीट हेगसेथ ने चुप्पी तोड़ी और कहा कि ट्रंप प्रशासन युद्ध को और बढ़ाना नहीं चाहता और उसने तेहरान को “वार्ता की बहाली” के लिए निजी संदेश भेजे हैं। हालांकि ईरान पहले ही चेतावनी दे चुका है कि अमेरिका के किसी भी सीधे हमले का जवाब दिया जाएगा। इस सप्ताह के शुरू में, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सैय्यद अली ख़ामेनेई ने एक वीडियो संदेश में कहा था कि अमेरिका के हमले “अमेरिका के लिए अपूरणीय नुक़सान” लेकर आएंगे।

फिलहाल, ईरान इज़रायल को निशाना बनाना जारी रखेगा, जो पहले ही आर्थिक और सामाजिक रूप से संकट में है और उसे रोज़ाना ईरानी मिसाइल और ड्रोन हमलों का सामना करना पड़ रहा है।

अमेरिका के लिए, ईरान के पास कई विकल्प हैं: वह क्षेत्र में मौजूद अमेरिका के 19 सैन्य अड्डों पर हमला कर सकता है, हॉर्मुज़ की खाड़ी को बंद कर सकता है, जिससे दुनिया का एक चौथाई तेल आता-जाता है, या फिर अपने परमाणु नीति में बदलाव कर सकता है। हालांकि ईरान ने अभी तक परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन सैन्य जवाब सबसे संभावित विकल्प लगता है।

फार्स न्यूज़ के अनुसार, ईरान का अनुमान है कि यह युद्ध छह महीने तक चल सकता है और वह इसके लिए पूरी तरह तैयार है। इस पूरे घटनाक्रम ने पूरे क्षेत्र को एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है, ठीक वैसे ही जैसे पिछले 20 महीनों में लेबनान, ग़ाज़ा और सीरिया में इज़रायली आक्रामकता के दौरान होते-होते टल गया था। आगे क्या होगा? इस पर अभी कोई कुछ नहीं कह सकता, लेकिन ईरानी सेना के अधिकारियों के बयान से इतना तो तय है कि, ईरान इस हमले का जवाब बहुत जल्द देगा।

क्षेत्रीय देशों जैसे सऊदी अरब, क़तर, ओमान, कुवैत, यूएई और तुर्की ने रविवार को अलग-अलग बयानों में अमेरिका के हमलों पर चिंता जताई और कहा कि इसके “स्थायी परिणाम” हो सकते हैं।

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