अब मोबाइल नंबर की तरह गैस कंपनी भी बदल सकेंगे
भारत में उपभोक्ताओं को अब एक नई सुविधा मिलने जा रही है। जिस तरह मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के ज़रिए कोई भी ग्राहक अपनी सुविधा के अनुसार टेलीकॉम कंपनी बदल सकता है, उसी तरह अब गैस कंपनियों को भी बदलना संभव होगा। पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड (PNGRB) ने गैस कनेक्शन की “इंटर-कंपनी पोर्टेबिलिटी” की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कदम से उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिलेंगे और गैस सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है।
अभी तक स्थिति यह है कि यदि किसी ग्राहक को सेवा में समस्या आती है, तो वह सिर्फ उसी कंपनी के भीतर डीलर बदल सकता है, लेकिन कंपनी नहीं। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई उपभोक्ता इंडियन गैस से जुड़ा है, तो वह केवल उसी कंपनी के दूसरे डिस्ट्रीब्यूटर से गैस प्राप्त कर सकता है। HP गैस या भारत गैस जैसी किसी दूसरी कंपनी में बदलना वर्तमान नियमों के तहत संभव नहीं है। इसका कारण यह है कि मौजूदा कानूनों के अनुसार गैस सिलेंडर सिर्फ उसी कंपनी से रीफिल किया जा सकता है जिसने उसे जारी किया हो।
PNGRB के नए प्रस्ताव के तहत यह बाध्यता खत्म हो जाएगी। इंटर-कंपनी पोर्टेबिलिटी लागू होने पर ग्राहक किसी भी कंपनी में अपना गैस कनेक्शन ट्रांसफर कर सकेंगे। जैसे मोबाइल नेटवर्क बदलने पर नंबर वही रहता है, उसी तरह गैस कंपनी बदलने के बावजूद उपभोक्ता आसानी से गैस का लाभ उठा सकेंगे।
इस सुविधा का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा और समय पर रीफिलिंग मिलेगी। अक्सर स्थानीय डिस्ट्रीब्यूटर्स की ऑपरेशनल दिक्कतों के कारण गैस रीफिलिंग में कई-कई हफ्तों की देरी हो जाती है, जिससे उपभोक्ताओं को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद ग्राहक अपनी सुविधा और सेवा की गुणवत्ता के आधार पर तुरंत दूसरी कंपनी चुन सकेंगे।
PNGRB का मानना है कि जब सभी कंपनियों की गैस कीमतें लगभग समान हैं, तो ग्राहकों को यह स्वतंत्रता अवश्य मिलनी चाहिए कि वे किस कंपनी की सेवा लेना चाहते हैं। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और कंपनियों पर सेवा सुधारने का दबाव बनेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा सुधार साबित होगी, जैसे मोबाइल पोर्टेबिलिटी ने टेलीकॉम सेक्टर में बदलाव लाया था।

