चुनाव आयोग ने ‘नकली वोटर कार्ड’ की गलती स्वीकार की
पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में गुजरात और हरियाणा के वोटरों को जोड़ने का मामला इतना बढ़ गया और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इतने संगठित तरीके से चुनाव आयोग को दोषी ठहराया कि अंततः आयोग को अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी। साथ ही, उसने यह आश्वासन भी दिया कि तीन महीनों के भीतर इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बड़ा मोर्चा खोलते हुए चुनाव आयोग को अपनी गलती मानने का अल्टीमेटम दिया था। पार्टी ने कहा था कि अगर आयोग फर्जी वोटर कार्ड के मामले में अपनी गलती नहीं स्वीकार करता तो उसे दस्तावेजों के साथ और अधिक बेनकाब और शर्मिंदा किया जाएगा। इसके बाद चुनाव आयोग के पास कोई विकल्प नहीं बचा और उसने शुक्रवार को आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि अगले तीन महीनों के भीतर डुप्लीकेट वोटर आईडी कार्ड के मामले को हल किया जाएगा और टीएमसी की शिकायतों को दूर किया जाएगा।
चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस द्वारा उठाए गए मुद्दे पर कहा कि उसने डुप्लीकेट ईपीआईसी (EPIC) नंबर के मामलों का संज्ञान लिया है। हालांकि, आयोग ने एक बार फिर जोर देकर कहा कि डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर वाले सभी मतदाता वास्तविक हैं। आयोग ने अपने बयान में कहा कि 100 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों की जांच से यह पता चला है कि डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर वाले मतदाता वास्तविक हैं। साल 2002 में राज्यों को ईपीआईसी सीरीज के आवंटन के बाद कुछ अधिकारियों ने सही सीरीज का उपयोग नहीं किया।
राज्यों में गलत सीरीज के कारण डुप्लीकेट नंबरों की समस्या का पता नहीं चल पाया क्योंकि राज्यों ने स्वतंत्र रूप से अपनी मतदाता सूची डेटाबेस का प्रबंधन किया। अब आयोग ने तकनीकी टीमों और संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद इस लंबे समय से लंबित समस्या को अगले तीन महीनों में हल करने का निर्णय लिया है ताकि डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर वाले मतदाताओं को एक विशिष्ट राष्ट्रीय ईपीआईसी नंबर प्रदान किया जा सके।
दूसरी ओर, चुनाव आयोग के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टीएमसी नेता साकेत गोखले ने इसे आयोग द्वारा एक सप्ताह में दूसरी बार जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करार दिया। उन्होंने कहा, “आखिरकार आयोग ने आज अपनी गलती स्वीकार कर ली कि कई लोगों को डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर जारी किए गए थे। यह सब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वजह से हुआ क्योंकि उन्होंने चुनाव आयोग के झूठ को उजागर किया। चुनाव आयोग, जो पहले इनकार कर रहा था, अब इस समस्या को तीन महीनों में ‘हल’ करने की बात कर रहा है।”
हालांकि, आयोग ने एक अविश्वसनीय सफाई दी कि “डुप्लीकेट ईपीआईसी का मुद्दा 2000 से ही है और यह गलती आयोग के अधिकारियों द्वारा गलत अल्फाबेटिक सीरीज के उपयोग के कारण हुई।”
साकेत गोखले ने सवाल उठाया कि जब चुनाव आयोग की हैंडबुक में स्पष्ट दिशानिर्देश हैं, तो कथित रूप से ‘गलत सीरीज’ का उपयोग कैसे हुआ? वह सॉफ्टवेयर कहां है जिसका उपयोग इस तरह की गलतियों को पकड़ने के लिए किया जाता है? अगर आयोग कहता है कि यह गलती 2000 से हो रही है, तो 25 वर्षों तक इसे ठीक क्यों नहीं किया गया? जब तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस ओर ध्यान नहीं दिलाया, तब तक इस पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
टीएमसी नेता ने मांग की कि चुनाव आयोग स्पष्ट करे कि इस समय कितने डुप्लीकेट ईपीआईसी मौजूद हैं? वह क्या छिपा रहा है और किसे बचाने की कोशिश कर रहा है? साकेत गोखले ने इस पूरे मामले को देश के लोकतंत्र के साथ एक बड़ा घोटाला करार दिया।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग पर धांधली का आरोप लगाया था और कहा था कि आईडी कार्ड के नंबरों में गड़बड़ी करके ही महाराष्ट्र में जीत हासिल की गई। इससे पहले, चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में गुजरात और हरियाणा के वोटरों को जोड़ने के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा था कि “डुप्लीकेट नंबर का मतलब यह नहीं है कि ये फर्जी वोटर कार्ड हैं। ये सभी असली मतदाता हैं और अब उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा।”

