क़तर ने इज़रायली हमले की पूर्व सूचना देने के ट्रंप के दावे को ख़ारिज किया
क़तर की राजधानी दोहा पर इज़रायली हमले के बाद मध्य पूर्व में जबरदस्त तनाव का माहौल है। इस हमले के साथ ही हमास के ख़िलाफ़ इज़रायल का अभियान और व्यापक हो गया। धमाकों के बाद दोहा के आसमान में धुआँ छा गया। क़तर ने इस कायराना कार्रवाई का बदला लेने की बात कही है।
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक बयान खूब वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया कि उन्होंने इज़रायली हमले से पहले ही क़तर को आगाह कर दिया था। लेकिन अब खुद क़तर ने इस तरह के दावों को सीधे तौर पर ख़ारिज कर दिया है, जिससे ट्रंप एक बार फिर झूठे साबित हो गए हैं।
ऊर्जा से समृद्ध क़तर अमेरिका का सहयोगी है और हज़ारों अमेरिकी सैनिकों की मेज़बानी करता है। दूसरी ओर इज़रायल भी अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी है। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि क़तर पर इज़रायली हमला अमेरिका की मंशा से हुआ है। हालाँकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने तुरंत इन अटकलों को ख़त्म करने की कोशिश की और कहा कि उन्होंने ऐसे किसी हमले का आदेश नहीं दिया। ट्रंप ने यहाँ तक कहा कि इज़रायली हमलों को लेकर उनके राजदूत ने फ़ोन पर क़तर को आगाह किया था। यहीं पर मामला उलझ गया।
असल में इस हमले के बाद व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट के बयान और क़तर सरकार की प्रतिक्रिया ने दोनों देशों के बीच अचानक तनाव बढ़ा दिया है। लेविट ने दावा किया कि अमेरिकी प्रशासन ने इज़रायल द्वारा किए जाने वाले हमले की जानकारी पहले ही क़तर सरकार को दे दी थी, लेकिन क़तर ने इस दावे को बेबुनियाद बताते हुए ख़ारिज कर दिया।
क़तर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता और प्रधानमंत्री शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुर्रहमान बिन जस्सिम अल-थानी के सलाहकार माजिद अल-अंसारी ने कहा कि अमेरिकी दावा ग़लत है। उन्होंने अपने ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा, “क़तर को हमले की पूर्व सूचना देने की बात बेबुनियाद है। अमेरिकी अधिकारी का फ़ोन उस समय आया जब दोहा में इज़रायली हमलों से धमाकों की आवाज़ें गूंज रही थीं।”
इससे पहले ट्रंप ने भी क़तर को सूचना देने का दावा किया था। उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट में लिखा, “आज सुबह अमेरिकी सेना ने ट्रंप प्रशासन को बताया कि इज़रायल हमास पर हमला कर रहा है, जो दुर्भाग्य से क़तर की राजधानी दोहा के एक हिस्से में हो रहा है। यह प्रधानमंत्री नेतन्याहू का फ़ैसला था। क़तर एक संप्रभु देश और अमेरिका का बेहद क़रीबी सहयोगी है और शांति कायम करने के लिए हमारे साथ मेहनत और बहादुरी से जोखिम उठा रहा है। उस पर एकतरफ़ा बमबारी करना इज़रायल और अमेरिका के उद्देश्यों को पूरा नहीं करता।
हालाँकि, ग़ाज़ा में रहने वालों की हालत का फायदा उठाने वाले हमास का सफाया एक सकारात्मक लक्ष्य है। मैंने तुरंत विशेष दूत स्टीव व्टकाफ़ से कहा कि, वे क़तर को होने वाले हमले की सूचना दें, हालाँकि, दुर्भाग्य से बहुत देर हो चुकी थी। मैं क़तर को अमेरिका का मज़बूत सहयोगी और दोस्त मानता हूँ और हमले की जगह को लेकर बेहद दुखी हूँ।”
