अफ़ग़ानिस्तान में पश्चिमी कल्चर की कोई जगह नहीं : तालिबान
अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में फिर से वापसी करने वाले तालिबान ने दो टूक कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में अब पश्चिमी कल्चर की कोई जगह नहीं होगी. संयुक्त राष्ट्र में अफ़ग़ानिस्तान के दूत सुहैल शाहीन ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की अपनी संस्कृति और कल्चर है. अफ़ग़ानिस्तान और पश्चिमी जगत की तुलना नहीं हो सकती है हमारा एक इस्लामी और मुल्की कल्चर है.
तालिबान के वरिष्ठ नेता ने यह बातें अफ़ग़ानिस्तान में महिला छात्राओं की शिक्षा के बारे में बात करते हुए कही. सुहैल शाहीन ने कहा कि हमारी संस्कृति की किसी भी देश विशेष कर पश्चिमी जगत से तुलना करना बेकार है हमारी अपनी एक इस्लामी संस्कृति और कल्चर है.
सुहैल शाहीन ने कहा कि हम लड़कियों की तालीम के विरोधी नहीं है लेकिन हमे इस्लामी संस्कृति को लागू करने और समाज को इस्लामी कल्चर में ढालने में वक़्त लगेगा. गुज़रते समय के साथ हम इन मुश्किलों पर को पा लेंगे.
फॉक्स न्यूज़ से बात करते हुए सुहैल शाहीन ने कहा कि हम महिलाओं की शिक्षा के विरोधी नहीं हैं अब भी अफग़ानिस्तान के प्राइमरी स्कूलों में लाखों बच्चियां पढ़ रही हैं. रही बात महिलाओं की तो महिलाएं भी शिक्षा, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय जैसे अलग अलग मंत्रालयों में काम कर रही हैं. हम कभी भी लड़कियों की तालीम के मुखालिफ नहीं हैं यह सब इंसानों का अधिकार है और हम किसी को इस हक़ से नहीं रोक सकते.
तालिबान ने एक बार फिर अमेरिका के साथ हुए दोहा समझौते के बारे में कहा कि हम दोहा समझौते का पालन करने के लिए वचनबद्ध हैं. हम अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन को अमेरिका या किसी दूसरे देश के खिलाफ इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं देंगी.
बता दें कि 300 दिन से ज़्यादा हो गए हैं तालिबान ने लड़कियों को स्कूलों में जाने से रोका हुआ है. दुनियाभर में तालिबान के इस क़दम की कड़ी आलोचना हुई है लेकिन तालिबान ने लड़कियों के लिए स्कूल बंद करने के अपने फैसले में कोई बदलाव नहीं किया है.