पाकिस्तान को सताने लगा टीटीपी का डर, तालिबान से अमेरिकी हथियारों का सौदा अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होते ही पड़ोसी देशों के की चिंताएं बढ़ना शुरू हो गई हैं और इस क्रम में सबसे पहला नाम पाकिस्तान का ही है।
पाकिस्तान को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का डर सताने लगा है। अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिका के अत्याधुनिक हथियार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को ना मिल जाए इस बात से आशंकित इमरान सरकार आर्थिक तंगी के बावजूद भी तालिबान से विध्वंसक अमेरिकी हथियार खरीदने की तैयारी कर रही है।
15 अगस्त 2021 को पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त तालिबान आतंकियों ने काबुल पर नियंत्रण करते हुए अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। अफगानिस्तान में तालिबान राज कायम होते ही पाकिस्तान के सीमाई इलाकों में आतंकी हमले तेज हो गए है।
अपनी सीमा क्षेत्र में आतंकी हमले तेज होने के बाद पाकिस्तान सरकार ने सीमा क्षेत्र पर स्थित वजीरिस्तान में टीटीपी के खिलाफ अभियान तेज़ कर दिया है। तालिबान शासन के बाद ही खबरें आने लगी थी कि तालिबान अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी हथियारों की सप्लाई पाकिस्तान को कर रहा है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने हाल ही में खबर देते हुए कहा था कि अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी हथियार बंदूक डीलरों द्वारा खुलेआम दुकानों पर जा रहे हैं। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद ही तालिबान लड़ाके और हथियार डीलर उन हथियारों को खुले आम बेच रहे हैं जिनके लिए अमेरिकी करदाताओं ने भुगतान किया था। अब यही हथियार अफ़ग़ानिस्तान में खुलेआम दुकानों पर बेचे जा रहे हैं।
अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियारों की अनुमानित लागत बताते हुए द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि पिछले दो दशकों के दौरान अमेरिकी करदाताओं की खून पसीने की कमाई से लगभग 83 बिलियन डॉलर्स से अधिक लागत के हथियार एवं सैन्य संसाधन अफगान सुरक्षा बलों को दिए गए थे।
अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के साथ ही भारी संख्या में यह हथियार तालिबान के हाथ लग चुके हैं हालांकि अमेरिकी रक्षा विभाग ने दावा किया था कि अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान छोड़ने से पहले उन्नत हथियारों को बेकार कर दिया था लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो तालिबान के पास हजारों उन्नत हथियार मौजूद हैं और अब पाकिस्तान तालिबान से यही खरीद रहा है।