पाकिस्तान की चाल, सरकार गठन से पहले अफगानिस्तान पहुंचे आईएसआई प्रमुख अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर समय-समय पर सवाल उठता रहा है।
पाकिस्तान ने नई चाल चलते हुए अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के गठन से पहले ही अपनी गतिविधि तेज कर दी है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख हामिद अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन से पहले ही काबुल पहुंच चुके हैं।
आईएसआई प्रमुख की अफगानिस्तान यात्रा को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि उनकी अफगान यात्रा में पाकिस्तान सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद हैं।
हालांकि कहा जा रहा है कि तालिबान ने एक बार फिर सरकार गठन की प्रक्रिया टाल दी है। तालिबान ने अफ़ग़ान सरकार गठन के ऐलान को अगले सप्ताह तक के लिए टाल दिया है लेकिन काबुल में आईएसआई की मौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
पाकिस्तान के अधिकारियों ने दावा किया है कि वह राजदूत से मुलाकात के लिए काबुल पहुंचे हुए हैं। यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी के प्रमुख और तालिबान नेतृत्व के बीच मुलाकात की खबरें सामने आई हैं।
कुछ समय पहले भी अफगानिस्तान में नए शासन के प्रमुख माने जा रहे मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के प्रमुख की मुलाकातें एवं उनकी तस्वीर सामने आ चुकी है।
तालिबान के साथ पाकिस्तान सरकार अपने संबंधों को बिल्कुल भी नहीं छुपा रही है। पाकिस्तान तालिबान के साथ अपने संबंधों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर रहा है। हाल ही में पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने कहा था कि पाकिस्तान तालिबान का संरक्षक रहा है।
हम न्यूज़ के कार्यक्रम में शेख रशीद ने कहा था कि हम तालिबान नेताओं के संरक्षक हैं। हमने लंबे समय तक उनका ख्याल रखा है। पाकिस्तान में उन्हें पनाह, शिक्षा एवं रहने की जगह मिली है। हमने उनके लिए सब कुछ किया।
दो दशक बाद अफगानिस्तान की सत्ता पर फिर से कब्जा जमाने में सफल रहे तालिबान और पाकिस्तान के संबंधों को देखकर दुनिया भर में कयास लगाए जा रहे हैं कि अफगानिस्तान की नई सरकार में पाकिस्तान की है प्रभावी भूमिका होगी।