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पाकिस्तान: खैबर पख्तूनख्वा में भीषण धमाके में 30 से अधिक की मौत

पाकिस्तान: खैबर पख्तूनख्वा में भीषण धमाके में 30 से अधिक की मौत

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) प्रांत के  में स्थित पश्तून बहुल गांव में आज सुबह एक भयंकर विस्फोट हुआ, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित 30 से अधिक लोग मारे गए। इस घटना ने स्थानीय लोगों और मानवाधिकार संगठनों के बीच भारी विवाद पैदा कर दिया है, क्योंकि कुछ ने इसे पाकिस्तान वायुसेना के हमले का परिणाम बताया है, जबकि सरकार का दावा है कि यह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के परिसर में विस्फोटकों के अचानक फटने से हुआ।

स्थानीय लोगों और मीडिया की रिपोर्ट
स्थानीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा साझा किए गए वीडियो और तस्वीरों में मलबे के बीच कई शव देखे जा सकते हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं और बचाव दल द्वारा पीड़ितों की खोज जारी है।

कुछ मीडिया रिपोर्टों और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि पाकिस्तानी जेएफ-17 लड़ाकू विमानों ने सुबह-सुबह तिराह घाटी के मतूर दारा गांव पर एलएस-6 बम गिराए। इन हमलों से गांव का बड़ा हिस्सा तबाह हो गया और सोशल मीडिया पर हमले के वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं।

पीटीआई केपी ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, “खैबर की तिराह घाटी में जेट विमानों की बमबारी के दौरान, स्थानीय आबादी पर कई बम गिरे। पांच घर नष्ट हो गए और मलबे से अब तक 20 शव बरामद किए गए हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। कभी ड्रोन, कभी बमबारी ने नफरत के बीज बो दिए हैं। बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने इस घटना को जानबूझकर निर्दोष लोगों को निशाना बनाने वाली कार्रवाई बताया और इसे युद्ध अपराध करार दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी शासन के नरसंहार अभियान को दुनिया अब अनदेखा नहीं कर सकती।

सरकारी दावे और विरोधाभास
वहीं, स्थानीय प्रशासन ने हवाई हमले के दावों का खंडन किया। उनका कहना है कि तटीय परिसर में विस्फोटकों के असुरक्षित भंडारण के कारण विस्फोट हुआ। तिराह पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी जफर खान के अनुसार, विस्फोट में 14 आतंकवादी और नागरिकों सहित कम से कम 24 लोग मारे गए। प्रशासन का दावा है कि यह परिसर अफगान और स्थानीय आतंकवादियों का ठिकाना था, जहां आईईडी निर्माण और स्नाइपर प्रशिक्षण होता था।

सरकारी तर्क यह भी है कि आतंकवादियों ने नागरिक आबादी के बीच परिसर स्थापित कर रखा था और सुरक्षा बलों की पहुंच को सीमित करने के लिए विस्फोटकों का भंडार जमा कर रखा था। असुरक्षित भंडारण और प्रशिक्षण गतिविधियों के कारण अक्सर विस्फोट हो जाता है, जिससे आम नागरिक हताहत होते हैं।

मानवाधिकार और वैश्विक प्रतिक्रिया
इस घटना ने पाकिस्तान में मानवाधिकार संगठनों और स्थानीय कार्यकर्ताओं को हिला कर रख दिया है। बलूच और अन्य समूहों ने केपी के पश्तून समुदाय के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की और चेतावनी दी कि निर्दोष लोगों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

स्थानीय प्रशासन और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच घटनाक्रम को लेकर विरोधाभास स्पष्ट है। जबकि प्रशासन इसे आतंकवादियों के परिसर में विस्फोट का नतीजा बता रहा है, स्थानीय लोग और पीटीआई के केपी शाखा इसे हवाई हमले का परिणाम मान रहे हैं।

यह विस्फोट ना केवल तिराह घाटी के पश्तून समुदाय के लिए एक त्रासदी है, बल्कि पाकिस्तान में आतंकवाद और असुरक्षित सुरक्षा उपायों के जटिल मिश्रण को भी उजागर करता है। मृतकों की संख्या और गंभीर घायल लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका है, और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह घटना की तीखी निंदा कर रहे हैं।

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