पाकिस्तान साख बचाने को विवश, “टर्म्स और कंडीशन” कुछ भी हों, बस पैसा मिले

पाकिस्तान साख बचाने को विवश, “टर्म्स और कंडीशन” कुछ भी हों, बस पैसा मिले पाकिस्तान ऐतिहासिक आर्थिक संकट और कंगाली के दौर से जूझ रहा है ।

पाकिस्तान साख बचाने के लिए किसी भी कीमत और शर्तों पर कर्ज लेने के लिए तैयार है। पाकिस्तान को सऊदी अरब से तीन अरब डॉलर का कर्ज़ तो मिल गया है लेकिन सऊदी अरब ने ऐसी शर्ते रख दी हैं कि शायद ही कोई अन्य देश उन शर्तों पर यह कर्ज स्वीकार करता। मगर क्या किया जाए कि पाकिस्तान के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वह इन शर्तों पर भी कर्ज लेने के लिए तैयार हो गया है।

पाकिस्तान में गहराया आर्थिक संकट और विदेशों से लिए गए कर्ज के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की बात को ध्यान में रखते हुए सऊदी अरब ने अपने मित्र देश को कर्ज तो दे दिया है लेकिन साथ ही बेहद कड़ी शर्तें रख दी हैं। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच 4.2 अरब डॉलर के कर्ज का समझौता हो गया है।

पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने इस समझौते के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सऊदी अरब पाकिस्तान को 1 साल के लिए 3 अरब डॉलर की नकद जमा राशि देने पर तैयार हो गया है। सऊदी अरब ने इस समझौते में साफ कर दिया है कि वह 3 दिन का नोटिस देकर किसी भी समय है इस कर्ज को वापस मांग सकता है और पाकिस्तान इसे लौटाने के लिए बाध्य होगा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के फाइनेंशियल सपोर्ट को रिवाइव करने के लिए सऊदी अरब तैयार है। वह इमरान खान सरकार को 3 अरब डॉलर सुरक्षित जमा और 1.2 अरब डॉलर मूल्य की तेल आपूर्ति डैफर्ड पेमेंट पर देने के लिए सहमत है। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए इस समझौते के अनुसार पाकिस्तान को मिलने वाला 3 अरब डॉलर कैश रिजर्व रहेगा। अर्थात यह सिर्फ पाकिस्तानी बैंकों में जमा रहेगा। सिर्फ दिखाने के लिए। पाकिस्तान को इसे खर्च करने की अनुमति नहीं है। यह रकम पाकिस्तानी बैंकों की साख बचाने के लिए है। इमरान सरकार चाह कर भी इस रकम को खर्च नहीं कर सकती।

पाकिस्तान के पास अतीत के विपरीत इस बार रोलओवर करने का भी कोई विकल्प नहीं होगा। उसे 1 साल बाद यह कर्ज वापस करना ही होगा। अगर पाकिस्तान इस समझौते से अलग कोई कदम उठाता है तो सऊदी अरब के पास यह विकल्प होगा कि वह 72 घंटे के अंदर अंदर पाकिस्तान से अपना पैसा वापस मांग ले और पाकिस्तान यह पैसा लौटाने पर विवश होगा।

पाकिस्तान वित्त मंत्रालय के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि पाकिस्तान इन 3 अरब डॉलर पर 4 फ़ीसदी की दर से ब्याज भी चुकाएगा। पिछली बार पाकिस्तान को सऊदी अरब से जो कर्ज मिला था उस पर ब्याज की दर 3.2 थी। पाकिस्तान को सऊदी अरब से मिलने वाले क़र्ज़ पर 120 मिलियन डॉलर का ब्याज चुकाना होगा।

सऊदी अरब से इन शर्तों पर मिलने वाले क़र्ज़ को लेकर पाकिस्तानी लोगों में नाराजगी पाई जा रही है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने शायद सऊदी अरब से कर्ज लेते समय इन शर्तों को सही से नहीं पढ़ा है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो सऊदी अरब ने डिफॉल्ट होने की स्थिति पर शर्ते रखी हैं और वह ऐसी स्थिति में तत्काल अपना पैसा वापस मांग सकता है। अगर सऊदी अरब को समय पर ब्याज का भुगतान नहीं हुआ तो इसे भी समझौते में डिफॉल्ट माना जाएगा।

सऊदी अरब ने यह शर्ते अतीत में पाकिस्तान के रवैए को देखते हुए रखी है। पिछली बार पाकिस्तान को सऊदी अरब का क़र्ज़ लौटाने में काफी दिक्कतें हुई थी तब चीन ने समय रहते पाकिस्तान को भारी भरकम रक़म सौंपी थी और इस्लामाबाद ने रियाज़ का क़र्ज़ अदा किया था।

 

 

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