घरेलू सियासत के पेंच में बुरी तरह फंसे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने अपने देश के लोगों का ध्यान भटकाने के लिए फिर भारत के क्षेत्रों को अपना बताया है। ओली (KP Sharma Oli) ने कहा कि वह भारत से कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र को ज़रूर वापस लेकर रहेंगे।
आपको बता दें ओली (KP Sharma Oli) ने ऐसे समय ये बयान दिया है जब सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच विदेश मंत्री स्तर की बातचीत होने वाली है।
नेपाली प्रधानमंत्री ने भारत को उकसाने की यह कोशिश नेशनल असेंबली में अपने संबोधन में की। ओली का ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा: कि सीमा विवाद पर बातचीत करने के लिए भारत जा रहे विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली के एजेंडे में इन तीनों क्षेत्रों को वापस लेना प्रमुख मुद्दा रहेगा।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के निमंत्रण पर ग्यावली विदेश मंत्री स्तर की छठवें नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए 14 जनवरी को भारत आ रहे हैं।
ओली का कहना है कि सुगौली समझौते के मुताबिक कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख महाकाली नदी के पूरब में स्थित और नेपाल का हिस्सा हैं। हम भारत के साथ कूटनीतिक वार्ता करेंगे और हमारे विदेश मंत्री भी भारत जा रहे हैं। आज, हमें हमारी जमीन वापस लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद जब भारतीय सैन्य बलों ने इन क्षेत्रों में अपना ठिकाना बनाना शुरू किया था तो नेपाली शासकों ने इन क्षेत्रों को वापस लेने की कोशिश नहीं की।
गैरतलब है , नेपाल की सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी बेहद नाटकीय घटनाक्रम से गुजर रही है। पार्टी दो फाड़ हो चुके हैं इसमें से एक का नेतृत्व प्रधानमंत्री ओली तो दूसरे का नेतृत्व प्रचंड कर रहे हैं। पार्टी अब दो साल पहले की तरह दो अलग राजनीतिक दलों के रूप में काम कर रही है। बता दें कि दोनों राजनीतिक दलों का विलय विगत 2018 में हुआ था। नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के अध्यक्ष ओली जबकि नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी (माओ) के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड थे।
प्रधानमंत्री ओली ने संसद को भंग करके आगामी 30 अप्रैल और दस मई को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया था।