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नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर बवाल, संसद में घुसे प्रदर्शनकारी

नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर बवाल, संसद में घुसे प्रदर्शनकारी

नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य बड़े शहरों में इन दिनों सोशल मीडिया बैन के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। हजारों की संख्या में युवा—खासतौर पर Gen-Z—सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन परिसर में भी घुसपैठ की, जिससे हालात और बिगड़ गए।

संसद परिसर में घुसे प्रदर्शनकारी
सोमवार को काठमांडू में प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स तोड़ते हुए संसद भवन परिसर तक पहुंच गए। इस दौरान तोड़फोड़ और नारेबाज़ी की खबरें सामने आईं। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए पानी की बौछारें कीं और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके जवाब में प्रदर्शनकारियों ने पानी की बोतलें और पेड़ों की टहनियां फेंककर विरोध जताया।

प्रशासन ने लगाया कर्फ्यू
स्थिति पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया है। काठमांडू के मुख्य जिला अधिकारी छविलाल रिजाल ने स्थानीय प्रशासन अधिनियम की धारा 6 के तहत आदेश जारी किया। यह कर्फ्यू सोमवार दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक लागू रहेगा। न्यू बानेश्वर चौक से एवरेस्ट होटल, बिजुलीबाजार आर्च ब्रिज, मिन भवन, शांतिनगर, टिंकुने चौक, शंखमुल ब्रिज और रत्न राज्य माध्यमिक विद्यालय तक कई क्षेत्रों में आवाजाही, सभा, प्रदर्शन और घेराव पर सख्त रोक लगाई गई है।

क्यों भड़की Gen-Z?
8 सितंबर से शुरू हुआ यह आंदोलन “Gen-Z रिवोल्यूशन” के नाम से जाना जा रहा है। इसका कारण नेपाल सरकार का फैसला है, जिसमें फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और यूट्यूब जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया गया है। युवाओं का कहना है कि इस बैन से उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी छीन ली गई है। विरोध की लहर इतनी तेज है कि अब यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रह गया बल्कि भ्रष्टाचार और सरकार के खिलाफ नाराज़गी का प्रतीक बन गया है।

नेपाल सरकार का रुख
सरकार का कहना है कि बैन स्थायी नहीं है। इसे तभी हटाया जाएगा, जब सोशल मीडिया कंपनियां नेपाल में अपना दफ्तर खोलें, पंजीकरण कराएं और गड़बड़ी रोकने के लिए उचित सिस्टम विकसित करें। अब तक सिर्फ टिकटॉक, वाइबर, निम्बज, विटक और पोपो लाइव जैसे प्लेटफॉर्म्स ने ही पंजीकरण कराया है।

भविष्य की चिंता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विरोध सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहेगा। भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी के मुद्दे भी इसमें शामिल हो गए हैं। अगर सरकार ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो नेपाल में हालात और बिगड़ सकते हैं।

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