नेपाल में कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को एक बड़ा झटका लगा है। नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने 20 दिसंबर को संसद के प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले को रद कर दिया है। नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिनिधि सभा को बहाल करने और साथ ही 13 दिनों के अंदर संसद को बुलाने के आदेश जारी किया है।
चोलेंद्र शमशेर राणा की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सभी पक्षों की तरफ से पेश किए गए तमाम सबूतों और तथ्यों को देख कर ये फैसला सुनाया है
बता दें कि पिछले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में न्याय मित्र की ओर से पांच वरिष्ठ वकीलों ने कहा था कि सदन को भंग करने का प्रधानमंत्री ओली का फैसला असंवैधानिक और ग़ैर क़ानूनी बताया था।
एक वरिष्ठ वकील पूर्णमान शाक्य ने अदालत में ही कहा था कि नेपाल के संविधान में देश के प्रधानमंत्री को संसद को भंग करने का अधिकार नहीं है। यह राजनीतिक नहीं, संवैधानिक मामला है, इसलिए अदालत को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
गौरतलब है कि केपी शर्मा ओली ने 20 दिसंबर को नेपाली संसद को भंग करने की सिफारिश को लेकर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पास पहुंचे थे। इसके बाद राष्ट्रपति ने उसी दिन इसे मंजूरी दे दी और संसद को भंग कर दिया था, जिसके बाद से ही नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता है।