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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर ‘मानव-विरोधी अपराधों’ की दोषी

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर ‘मानव-विरोधी अपराधों’ की दोषी

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध अधिकरण (ICTBD) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले वर्ष हुए छात्र-नेतृत्व वाले प्रदर्शनों के दौरान सरकारी बलों के अत्यधिक इस्तेमाल और बड़ी संख्या में नागरिकों की मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मानव-विरोधी अपराधों में दोषी पाया है। अदालत ने सोमवार को उन्हें मौत की सज़ा सुनाई। यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति के लिए एक बड़ा और विवादित मोड़ माना जा रहा है।

शेख हसीना अगस्त 2024 से भारत में हैं। फैसले से एक दिन पहले, अवामी लीग की ओर से जारी एक ऑडियो संदेश में उन्होंने कहा कि उन्हें किसी डर की ज़रूरत नहीं है, वे सुरक्षित हैं और अपने समर्थकों के साथ खड़ी रहेंगी। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से विरोध जारी रखने की अपील भी की। इसके बाद अवामी लीग ने देशभर में बंद का ऐलान करते हुए आरोप लगाया कि, हसीना पर चला मामला पूरी तरह राजनीतिक है।

अपने संदेश में हसीना ने यह भी कहा कि उन्हें भरोसा है कि बांग्लादेश के लोग विरोध कार्यक्रम को सफल बनाएँगे और “सूदखोरों, हत्यारों, उग्रवादियों, यूनुस और उनके साथियों” को जवाब देंगे। उन्होंने दावा किया कि अवामी लीग को राजनीति से बाहर करने का प्रयास सफल नहीं होगा, क्योंकि पार्टी की जड़ें देश में बहुत गहरी हैं। हसीना ने न तो आरोप स्वीकार किए हैं और न ही वकील रखा है। उन्होंने अधिकरण को “कंगारू कोर्ट” कहा और अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर चुनी हुई सरकार को ज़बरदस्ती हटाने का आरोप लगाया है।

फैसले से पहले ढाका में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। सुनवाई के कुछ घंटे पहले ही दो छोटे बम विस्फोट हुए, हालांकि किसी के हताहत होने की खबर नहीं मिली। पुलिस को प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध “देखते ही गोली चलाने” का आदेश दिया गया था। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ, जिसमें लगभग 1,400 लोगों की मौत हुई। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने इन घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई है।

सरकार का कहना है कि अदालत का फैसला न्याय और जवाबदेही को मजबूत करेगा, जबकि विपक्ष इसे दमन और राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण बता रहा है। विवाद के बीच देश में तनाव बढ़ा हुआ है और राजनीतिक वातावरण अत्यंत संवेदनशील बना हुआ है।

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