बांग्लादेश: रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार लौटना चाहिए
बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने संयुक्त राष्ट्र के अधिकार प्रमुख से कहा है कि बांग्लादेश में भीड़भाड़ वाले शिविरों में रहने वाले हजारों रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस लौटना चाहिए जहां से वे हिंसक उत्पीड़न की लहरों से भागे थे।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट रविवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचीं और म्यांमार की सीमा के पास कॉक्स बाजार जिले में रोहिंग्या शिविरों का दौरा किया। बांग्लादेश ने म्यांमार सीमा के पास के शिविरों में 10 लाख से ज़्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों की गिनती की है जो पिछले अनुमान से कहीं ज़्यादा है। रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की तैयारियों के बीच बांग्लादेश की पंजीकरण परियोजना के प्रमुख ने बीते बुधवार को यह जानकारी दी थी।
गौरतलब है कि बांग्लादेश का म्यांमार के साथ समझौता हुआ है जिसके तहत अक्टूबर 2016 से आए कम से कम से 7,50,000 शरणार्थियों को अगले दो वर्ष में स्वदेश भेजा जाना है। यह प्रक्रिया अगले सप्ताह से शुरू की जानी है। म्यांमार में बांग्लादेश के राजदूत मोहम्मद सफीउर रहमान ने बताया था कि हम आने वाले दिनों में यह प्रक्रिया शुरू करने में सक्षम होंगे। उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की शुरुआत के लिए म्यांमार की तरफ से तय अगले हफ़्ते की समयसीमा पर कहा कि यह संभव नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र और बांग्लादेश के अधिकारियों ने प्रत्यावर्तन शुरू करने के लिए कम से कम दो बार कोशिश की लेकिन शरणार्थियों ने म्यांमार में सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए जाने से इनकार कर दिया। मुस्लिम रोहिंग्या बौद्ध बहुल म्यांमार में व्यापक भेदभाव का सामना करते हैं जहां अधिकांश को नागरिकता और कई अन्य अधिकारों से वंचित किया जाता है।
अगस्त 2017 के अंत में म्यांमार सेना के विद्रोही समूह के हमलों के बाद उनके खिलाफ निकासी अभियान के बाद लगभग सात लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश भाग गए। पिछले साल सैन्य अधिग्रहण के बाद म्यांमार में सुरक्षा की स्थिति खराब हो गई है।