पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों ने निकाली रैली, विकसित देशों में बसना चाहते हैं
सैकड़ों अफगान नागरिकों ने सोमवार को इस्लामाबाद में विकसित देशों में आश्रय पाने के लिए विरोध रैली निकाली और कहा कि वे तालिबान द्वारा शासित अपने देश वापस नहीं जाना चाहते हैं।
पाकिस्तान में अफगान नागरिकों ने पिछले कई हफ्तों से नेशनल प्रेस क्लब के बाहर डेरा डाले हुए प्रेस क्लब से डी-चौक तक रैली निकाली। कुछ प्रदर्शनकारियों ने बताया कि तालिबान सरकार के तहत असुरक्षित थे इसलिए उन्होंने अपना देश छोड़ दिया। एक प्रदर्शनकारी इलियास जकी ने कहा कि हम यहां हैं और किसी भी विकसित देश में बसना चाहते हैं। अब तक हमें यहां शरणार्थियों का दर्जा नहीं दिया जा रहा है।
जकी ने कहा कि पाकिस्तान भी उन्हें शरण नहीं दे रहा है। हम जानते हैं कि पाकिस्तान के लोग भी बेरोजगारी और उच्च मुद्रास्फीति जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं इसलिए, स्पष्ट रूप से हम किसी भी विकसित देश में रहना चाहते हैं। एक अन्य प्रदर्शनकारी मीर वाइज़ ने कहा कि पिछले साल तालिबान द्वारा अधिग्रहण के बाद हजारों अफगान नागरिक पाकिस्तान आए और अब उन्हें दस्तावेज़ीकरण के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसा लगता है कि पाकिस्तान उन्हें शरण नहीं देने जा रहा है। उन्होंने विकसित देशों से अफगानों के मुद्दों पर गौर करने का आग्रह किया जो अपने परिवारों के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे हैं।
कई प्रदर्शनकारी सफेद कफन पहने हुए थे जिन पर “हमें मार डालो, हमें मार डालो” का नारा लिखा हुआ था। प्रदर्शनकारी जिनमें से अधिकांश उर्दू या अंग्रेजी बोलने में असमर्थ थे अपने उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध लग रहे थे। व्हीलचेयर पर बैठे कुछ बुजुर्ग भी विरोध का हिस्सा थे। 50 वर्षीय हबीबा जो अपनी चार बेटियों के साथ काबुल से इस्लामाबाद चली गई थी ने कहा कि मैं वापस नहीं जाना चाहती। मैं यहां या किसी अन्य देश में रहूंगी लेकिन जान से मारने की धमकी के कारण काबुल वापस नहीं जाऊंगी। हबीबा ने बताया कि उसका पति एक पुलिस अधिकारी था लेकिन तालिबान द्वारा काबुल के अधिग्रहण के बाद से वह लापता है।
ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान दशकों से लगभग 1.5 मिलियन अफगान शरणार्थियों की मेजबानी कर रहा है।