इज़रायल ग़ाज़ा में जो कर रहा है, वह एक होलोकॉस्ट है: कैंडिस ओवेन्स
प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रकार कैंडिस ओवेन्स ने ग़ाज़ा में इज़रायल की कार्रवाई की तीव्र आलोचना करते हुए इसे एक होलोकॉस्ट करार दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा, “मुझे विश्वास है कि इज़रायल ग़ाज़ा में जानबूझकर एक होलोकॉस्ट को अंजाम दे रहा है।” उनके इस बयान ने वैश्विक मीडिया और राजनीतिक हलकों में तीव्र बहस छेड़ दी है।
कैंडिस ओवेन्स ने यह भी दावा किया कि इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के पास “नरसंहार के महत्वाकांक्षी इरादे” हैं। उनका कहना है कि ग़ाज़ा में जारी सैन्य कार्रवाई न केवल निर्दोष लोगों की जान ले रही है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का भी गंभीर उल्लंघन है।
अमेरिका में इज़रायली लॉबी का प्रभाव
कैंडिस ओवेन्स ने अपने बयान में अमेरिका में इज़रायली लॉबी के प्रभाव का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, “हमारे देश में यहूदी लॉबी सिस्टम बहुत प्रभावशाली है। एआईपीएसी (अमेरिकन इज़रायल पब्लिक अफेयर्स कमेटी) जैसे संगठनों ने अमेरिकी चुनावों में $100 मिलियन डॉलर तक खर्च किए हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि ये लॉबियां अमेरिकी राजनीति और मीडिया को नियंत्रित करने की क्षमता रखती हैं।
ओवेन्स का कहना है कि ये संगठित लॉबियां राजनेताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं, पत्रकारों को अपने पक्ष में प्रभावित करती हैं, और जो लोग उनके खिलाफ बोलने का साहस करते हैं, उन पर हमले करके उन्हें दबाने की कोशिश करती हैं।
ग़ाज़ा में हालात और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ग़ाज़ा में इज़रायल की सैन्य कार्रवाई के चलते पहले से ही तबाह स्थिति और बिगड़ गई है। हजारों निर्दोष नागरिक, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, हताहत हो चुके हैं। ग़ाज़ा में बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है, जिससे पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी जरूरतों की भारी कमी हो गई है।
कैंडिस ओवेन्स के इस बयान ने अमेरिकी राजनीति और मीडिया में इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर चल रही चर्चा को एक नया आयाम दिया है। जहां कुछ लोगों ने उनके साहस की सराहना की है, वहीं कई लोग उनके बयान की आलोचना कर रहे हैं और इसे विवादास्पद करार दे रहे हैं।
ग़ज़ा में मानवाधिकार उल्लंघनों और इज़रायली कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान बढ़ रहा है। कैंडिस ओवेन्स जैसे पत्रकारों के बयान इस मुद्दे को और अधिक प्रकाश में ला रहे हैं। हालांकि, सवाल यह है कि क्या अमेरिकी प्रशासन और अन्य वैश्विक शक्तियां इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएंगी, या फिर यह संघर्ष इसी तरह जारी रहेगा।
ओवेन्स के इस बयान ने स्पष्ट रूप से इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर अमेरिका में विभाजित राय को उजागर किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके इन शब्दों का आने वाले दिनों में अमेरिकी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।