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ग़ाज़ा नरसंहार के खिलाफ अमेरिकी विश्वविद्यालयों का विरोध प्रदर्शन, वैश्विक आंदोलन में बदल रहा है

ग़ाज़ा नरसंहार के खिलाफ अमेरिकी विश्वविद्यालयों का विरोध प्रदर्शन, वैश्विक आंदोलन में बदल रहा है

ग़ाज़ा में निर्दोष फिलिस्तीनियों के नरसंहार के खिलाफ अमेरिकी विश्वविद्यालयों में चल रहा विरोध प्रदर्शन न केवल सामूहिक गिरफ्तारियों के बाद भी नहीं रुक रहा है, बल्कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप तक पहुंच गया है। ग़ाज़ा में हर रोज़ हो रहे फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार के ख़िलाफ़ छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ता जा रहा है। छात्रों की सामूहिक गिरफ्तारियों के बाद भी इसमें इज़ाफ़ा होता जा रहा है।

कनाडा के दूसरे सबसे बड़े शहर मॉन्ट्रियल में मैकगिल यूनिवर्सिटी के कैंपस में छात्रों ने शनिवार दोपहर (भारतीय समय के मुताबिक शनिवार से रविवार के बीच) कई टेंट लगाकर ग़ाज़ा के समर्थन में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। ग़ाज़ा में संघर्ष विराम की मांग के साथ 17 अप्रैल को कोलंबिया विश्वविद्यालय में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन संयुक्त राज्य अमेरिका के कमोबेश सभी विश्वविद्यालयों में फैल गया है और प्रशासन की सख्ती के बावजूद दो सप्ताह में 600 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं।

गौरतलब है कि गाजा में 34,000 से ज्यादा निर्दोष लोगों के नरसंहार के बाद भी इज़रायल के क्रूर हमले न सिर्फ जारी हैं, बल्कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश अब भी तेल अवीव का समर्थन कर रहे हैं, जिससे लोगों का गुस्सा धीरे-धीरे बेक़ाबू होता जा रहा है। यह पहला अवसर है जब, ग़ाज़ा के समर्थन में यूरोपीय देशों के छात्र इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि इस्लामिक देशों के शासक अब तक ख़ामोश हैं।

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अधिक गिरफ़्तारियाँ
संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में चल रहे विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए गिरफ्तारियों का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के लगभग 80 छात्र, कोलंबिया विश्वविद्यालय के 100 से अधिक छात्र और बोस्टन में नॉर्थईस्टर्न विश्वविद्यालय के 100 से अधिक छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। इनके अलावा येल यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, एमआईटी और कई अन्य प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां की गई हैं।

ताज़ा गिरफ़्तारी बोस्टन की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में हुई है। इन गिरफ़्तारियों के बावजूद, विरोध अन्य विश्वविद्यालयों में फैल रहा है। उदाहरण के तौर पर शनिवार को न्यूयॉर्क की सिटी यूनिवर्सिटी के कैंपस में छात्रों ने टेंट लगाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। युद्धविराम के साथ-साथ छात्र यह भी मांग कर रहे हैं कि उनके विश्वविद्यालय इज़रायल के साथ सभी प्रकार के संबंध तोड़ दें।

संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर भी विरोध फैलने लगा
छात्रों का यह विरोध एक वैश्विक आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है। अमेरिका के अलावा जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी छात्रों और युवाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। बर्लिन में प्रदर्शनकारियों ने संसद के बाहर डेरा डाल दिया है। वे अपनी सरकार से इज़रायल को हथियारों का निर्यात रोकने की मांग कर रहे हैं।

फ्रांस की राजधानी पेरिस की प्रसिद्ध साइंस-पो यूनिवर्सिटी में प्रदर्शनकारी छात्रों ने शुक्रवार को परिसर की मुख्य इमारत के बाहर धरना दिया, जिसके कारण इमारत में लगने वाली कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित करनी पड़ीं। शनिवार को स्वीडन में भी ‘फ़िलिस्तीन की आज़ादी’ और ‘इज़रायल के बहिष्कार’ के नारे के साथ मार्च निकाला गया। शनिवार को फिलिस्तीनी लोगों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए सैकड़ों लोग मध्य लंदन में एकत्र हुए।

लंदन में अल जज़ीरा के संवाददाता ने शनिवार दोपहर कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय में टेंट लगाए जाने के बाद कहा, “लंदन में संसद के बाहर पार्लियामेंट स्क्वायर पर हुआ विरोध प्रदर्शन ग़ाज़ा के समर्थन में मध्य लंदन में हुए अब तक के सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक है।” विरोध प्रदर्शन के लिए लाउडस्पीकर पर छात्रों से बड़ी संख्या में भाग लेने और विरोध परिसर में बने टेंट में रात बिताने की अपील की गई। छात्र मांग कर रहे हैं कि मैकगिल और कॉनकॉर्डिया विश्वविद्यालय इज़रायल और उसके शैक्षणिक संस्थानों से सभी संबंध तोड़ लें।

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