उद्धव ठाकरे का भाषण ‘रुदाली’ जैसा था: फडणवीस
शिवसेना (यूबीटी) और मनसे की संयुक्त ‘मराठी विजय रैली’ के जरिए ठाकरे बंधुओं की एकता ने महाराष्ट्र की सियासत को गर्मा दिया है। सत्ताधारी पक्ष की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के भाषण को ‘रुदाली’ (शोक गीत गाने वाली स्त्री) कहकर तंज कसा।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शोलापुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं राज ठाकरे का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने उद्धव ठाकरे के साथ मंच साझा करने का श्रेय मुझे दिया। अगर मेरी वजह से दोनों भाई साथ आए हैं, तो इसका मतलब है कि मैं उन्हें अलग करने वाला नहीं था। वे आपस में झगड़कर अलग हुए थे। राज ठाकरे को बाहर उद्धव ठाकरे ने ही निकाला था।”
फडणवीस ने कहा, “अगर अब वे फिर साथ आए हैं तो यह अच्छी बात है। लेकिन वरली का कार्यक्रम ‘विजय उत्सव’ नहीं बल्कि ‘रुदाली’ का रोना-धोना था। इसमें सिर्फ सत्ता की गुहार थी — मुझे सरकार वापस दीजिए, बीएमसी दीजिए, महाराष्ट्र दीजिए। मराठी भाषा या संस्कृति की कोई बात नहीं हुई। उन्हें मराठी भाषा, संस्कृति या मराठी आदमी से कोई सरोकार नहीं है।”
इसके जवाब में शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, “ठाकरे बंधुओं को एकसाथ देखकर फडणवीस डर गए हैं।” रविवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “जनता सब समझती है, तभी तो कल भारी संख्या में वहां पहुँची। जनता जानती है कि आप (फडणवीस) कितने झूठे हैं। लाखों लोग सिर्फ मराठी मुद्दे पर आए थे। यह देखकर आप घबरा गए। ठाकरे बंधुओं से आप डर गए हैं, यह अब सबको दिख रहा है।”
राउत ने कहा, “रुदाली कौन है, यह सब देख रहे हैं। अब आपकी रुदाली शुरू हो चुकी है।” उन्होंने सवाल उठाया कि, “एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस एक साथ क्यों आए? कौन-सी बड़ी विचारधारा लेकर आए हैं? अगर आप कह रहे हैं कि दोनों भाई राजनीति के लिए साथ आए हैं, तो हम भी राजनीति के लिए ही साथ आए हैं। मराठी हित की राजनीति के लिए।”
भाषा विवाद पर राउत ने कहा, “दक्षिण भारत की राज्यें सालों से इस मुद्दे पर लड़ रही हैं। उनका यह कहना कि हिंदी थोपना नहीं चाहिए, नया नहीं है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम हिंदी नहीं बोलेंगे। हम हिंदी बोलेंगे, और महाराष्ट्र में किसी को हिंदी बोलने से नहीं रोका जाएगा।”

